दाऊद की जगह लेना चाहता है बिश्नोई!


एनसीपी के अजीत पवार गुट के पूर्व राज्य मंत्री जियाउद्दीन अब्दुल रहीम सिद्दीकी उर्फ बाबा सिद्दीकी सरेआम गोली मारकर की गई हत्या ने मुंबई को दहला का रख दिया। 12 अक्टूबर 2024 को रात करीब 9.30 बजे ऑस्ट्रेलिया मेड पिस्टल से उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई, बड़ी बात यह है कि पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई थी।

बाबा सिद्दीकी और उनके विधायक बेटे की गोली मारकर हत्या करने के लिए आधा दर्जन आरोपी कई दिनों से बांद्रा स्थित जीशान के ऑफिस, बांद्रा पूर्व निर्मलनगर (खेरनगर) में राम मारुति रोड के बाहर रेकी कर रहे थे। अंततः वे शनिवार विजयादशमी के दिन बाबा सिद्दीकी की हत्या करने में सफल रहे। लेकिन जब दोनों आरोपी भाग रहे थे, तब निर्मलनगर पुलिस स्टेशन के सहायक पुलिस निरीक्षक राजेंद्र दाभाड़े और उनके सहयोगियों सागर कोइंदे, अमोल पवार और सुरेखा माने ने दो भाड़े के गुंडों गुरमेल बलजीत सिंह (23, हरियाणा) और धर्मराज राधे कश्यप (19, उत्तर प्रदेश) को मौके पर पकड़ लिया। इन दोनों की गिरफ्तारी के बाद बाबा सिद्दीकी को गोली मारने वाले आरोपियों में पंजाब के लॉरेंस बिश्नोई गैंग के शिवकुमार गौतम, मोहम्मद जिशान अख्तर, प्रवीण लोनकर, शुभम लोनकर के नाम सामने आए। पुणे से प्रवीण लोनकर को हाल ही में मुंबई क्राइम ब्रांच के एंटी एक्सटॉर्शन स्क्वाड ने गिरफ्तार किया था उसने बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश में शामिल आरोपियों को ठिकाना दिया और उन्हें पैसे बांटे थे। पुणे के भालेकर वस्ती में प्रवीण लोनकर और उसके भाई शुभम ने किराये पर एक दुकान ली और किसी को शक न हो इसलिए उन्होंने डेयरी प्रोडक्ट्स बेचना शुरू कर दिया था। दरअसल वहां से बिश्नोई गैंग की आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था। साथ ही शूटरों के खाने पीने और रहने की व्यवस्था करता था। गौरतलब है कि पहले भी पंजाबी गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धु मुसेवाला की हत्या में बिश्नोई गिरोह के लिए काम करने वाले पुणे के शूटर संतोष सुनील जाधव, नवनाथ सुरेश सूर्यवंशी और सौरभ उर्फ सिद्धेश, महाकाल हीरामन कांबले को पंजाब पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

पंजाब के एक पुलिस वाले का बेटा लॉरेंस बिश्नोई  फिलहाल गुजरात के साबरमती जेल में हैं और वहींते वह आपराधिक गतिविधियों अंजाम देता है। साबरमती जेल के आसपास बिश्नोई के गुर्गों का दबदबा है। पुलिस जांच में पता चला है कि इस गैंग के कई शूटर वारदात को अंजाम देने के बाद गुजरात भाग जाते हैं। कहा जा रहा है कि एसआरए प्रोजेक्ट के विवाद में बिश्नोई को सुपारी देकर बाबा सिद्दीकी की हत्या कराई गई। हालांकि सुपारी देने वाले आरोपी कभी नहीं मिलते। पुलिस के हाथों सिर्फ गोली चलाने वाले, आश्रय देने वाले, धन और हथियार बांटने वाले ही लगते हैं। इसलिए हत्या के पीछे का असली मकसद आखिर तक पता नहीं चल पाता।लेकिन कुछ लोगों का दावा है जानबूझकर इस मामले को लॉरेंस से जोड़ा जा रहा है!

पिछले 30 वर्षों में मुंबई में गोलीबारी में एक हजार से अधिक व्यवसायी, होटल व्यवसायी और प्रतिद्वंद्वी गिरोह के गैंगस्टर मारे गए हैं, जिनमें एक दर्जन नगरसेवक, आधा दर्जन पूर्व विधायक शामिल हैं। लेकिन महत्वपूर्ण हस्तियों की हत्याओं के पीछे के वास्तविक मास्टरमाइंडों का पता नहीं चल पाया है। जब मामले में किसी अहम राजनीतिक शख्सियत का,सुराग लगता है तो जांच आगे नहीं बढ़ती और कमोबेश इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि बाबा सिद्दीकी हत्याकांड का हश्र भी कुछ तक ऐसा ही हो सकता है।

बाबा सिद्दीकी को मारने के लिए सैन्य और पुलिस अधिकारियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली अत्याधुनिक पिस्तौलों का इस्तेमाल किया गया था। जिसकी गोली कभी जाया नहीं जाती। लॉरेंस बिश्नोई का ऑर्डर है कि पुलिस प्रोटेक्शन के बावजूद टारगेट को ऑन द स्पॉट खत्म कर दिया जाए। पंजाबी गायक सिधू मुसेवाला को लॉरेंस बिश्नोई ने पंजाब पुलिस के सामने, उसके ही प्रोटेक्शन में गोली मारकर हत्या कर दी थी।

देखा जाए तो लॉरेंस बिश्नोई की मोड्स ऑपरेंडी दाऊद के लगभग ही है।

किसी वक्त दाऊद पुलिस की परवाह नहीं करता था। 12 सितंबर 1992 को, दाऊद ने अपने बहनोई इब्राहिम इस्माइल पारकर की हत्या करने वाले अरुण गवली गिरोह के शैलेश हल्दनकर और बिपिन शेरे को मारने के लिए अपनी गैंग के पहले पत्तों को रात में जे जे अस्पताल भेजा था। उस वक्त उन्होंने सरकारी लाल बत्ती वाली गाड़ी का इस्तेमाल किया था। अस्पताल में इलाज करा रहे शैलेश हल्दनकर और बिपिन शेरे को मारने के लिए दाऊद गैंग के सुभाष सिंह ठाकुर, सुनील सावंत, ब्रिजेश सिंह आदि मैदान में उतरे थे। बदमाशों ने सबसे पहले शैलेश और बिपिन की सुरक्षा में लगे दो पुलिसकर्मियों की एके 47 राइफल से गोली मारकर हत्या कर दी। इसके बाद शैलेश की हत्या कर दी गई। बिपिन गंभीर रूप से घायल हो गया। कुछ ही दिनों बाद उनकी भी मृत्यु हो गई। उस वक्त दाऊद के इस खतरनाक तरीके से पूरा महाराष्ट्र हिल गया था। जे जे शूट आउट और उसके बाद हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण मुख्यमंत्री सुधाकरराव नाइक को इस्तीफा देना पड़ा।

बीजेपी नेता और पूर्व विधायक रामदास नायक की भी उनके घर के पास सड़क पर उनकी कार में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पहले नायक की कार के सामने बैठे कार्बाइनधारी कमांडो भीकाजी तड़वी की 25 अगस्त 1994 को सुबह करीब 9 बजे बांद्रा  पाली हिल में दाऊद गिरोह के फिरोज कोकानी ने एके 47 राइफल से गोली मारकर हत्या की और बाद में कार में बैठे रामदास नायक पर अंधाधुंध फायरिंग की गई। अब पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की पुलिस सुरक्षा में हत्या कर दी गई है। एक तरह से बिश्नोई ने महाराष्ट्र में मुंबई और पुणे को पूरी तरह से कब्जे में ले लिया है। सलमान खान पर हमले की कोशिश के बाद बिश्नोई गैंग बिंदास के हौसले बढ़ गए हैं। बावजूद, मुंबई पुलिस, जिसकी कभी स्कॉटलैंड यार्ड  पुलिस से तुलना की जाती थी, प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रही है। दाउद गिरोह अंकुश लगाने में सफल होने और लोकल गैंगस्टर अरुण गवली,अश्विन नाइक   छोटा राजन (जो विदेश भाग गया था) की कमर तोड़ने के बाद मुंबई पुलिस की स्पेशल टीम अब नहीं रही। उस जमाने में एनकाउंटर स्पेशलिस्ट की टीम ने कहर मचा दिया था हालांकि इस कदर एनकाउंटर्स के चलते यह मामला विवादास्पद भी रहा। उसे वक्त के वह पुलिस ऑफिसर जिन्होंने अंडरवर्ल्ड की कमर तोड़ दी थी अब महक में में नहीं है। अब कोई खबरियों का नेटवर्क नहीं रहा और न ही   उनके एजेंट रहे! सक्षम, चतुर, मेहनती अफसरों की नई टीम आज की मांग है।  बिश्नोई गैंग के मुंबई में फलने-फूलने  की शायद एक वजह यह भी रही है। बिश्नोई के गुर्गे स्थानीय नहीं है। उसका नेटवर्क देश के अलग-अलग विशेष कर उत्तर भारत में फैला है। आपने हर आपरेशन को अंजाम देने के वास्ते नए-नए चेहरों को चुनता है। उसमें ऐसे चेहरे भी होते हैं जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं होता। ऐसे लोगों का पता लगाना टेढ़ी खीर होती है। फिलहाल उसने महाराष्ट्र में दो घटनाओं को अंजाम दिया है। कहा तो यही जाता है कि भ्रष्ट पुलिस और तथाकथित राजनीतिक चेहरों के चलते दाऊद अपना दबदबा बनाने में कामयाब रहा! क्या बिश्नोई को भी छिपे तौर पर उभारा जा रहा है? यदि ऐसा है तो अंजाम से आसानी से वाकिफ हुआ जा सकता है! गौरतलब है कि एक वक्त के बाद दाऊद खुद को मुसलमानों का खैर ख्वाह समझने लगा था और यदि बिश्नोई खुद को हिंदू अंडरवर्ल्ड का डॉन के तौर पर स्थापित करना चाहता है, तो आजकल के राजनीतिक हालात उसके लिए मुफीद हो सकते हैं इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता !

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