एक देश-एक चुनाव: क्यों विधेयक पेश होते ही खिला विपक्ष का चेहरा, सरकार के लिए इसे पारित कराना कितना मुश्किल?



एक देश-एक चुनाव।
– फोटो : अमर उजाला

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सरकार ने देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के प्रावधान वाले विधेयक को विपक्षी दलों के भारी विरोध के बीच मंगलवार को संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में पेश कर दिया। इस विधेयक को पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार इन विधेयकों पर व्यापक विचार-विमर्श के लिए इन्हें संसद की संयुक्त समितियों (ज्वाइंट कमेटी) के पास भेजने के लिए तैयार हैं।

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हालांकि, संसद में विधेयक पेश करने के दौरान जो घटनाक्रम हुआ, उसके बाद विपक्षी सांसदों के चेहरे खिले दिखे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और संसदीय मामलों के मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी इस विधेयक पर कोई जल्दबाजी न करते हुए इसे संयुक्त समिति के पास भेजने पर तुरंत ही सहमति जता दी। गौरतलब है कि इस विधेयक को पेश होने से रोकने के लिए कई सांसदों ने लोकसभा में नियमों के तहत नोटिस भी दिए थे।

ऐसे में यह सवाल है कि आखिर लोकसभा में किन विधेयकों के जरिए संविधान संशोधनों को पेश किया गया? सदन में ऐसा क्या हुआ कि सरकार इस विधेयक को सहर्ष ही संयुक्त समिति के पास भेजने के लिए तैयार हो गई? विपक्षी सांसद विधेयक के पेश होने के बाद इसे अपनी जीत क्यों बता रहे हैं? संयुक्त समिति इस विधेयक पर क्या कर सकती है? और संयुक्त समिति के प्रस्ताव आने के बाद भी सरकार की राह में क्या रोड़े आ सकते हैं? आइये जानते हैं…

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