उत्तराखंड ग्लेशियर फट: उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के समीप स्थित अंतिम गांव माणा में ग्लेशियर टूटने से बड़ा हिमस्खलन हुआ जिससे बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (BRO) के कैंप में काम कर रहे 57 मजदूर दब गए। अब तक 32 मजदूरों को सुरक्षित निकाला गया है। सेना और इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (ITBP) ने बचाव अभियान शुरू किया लेकिन भारी बर्फबारी के चलते शुक्रवार शाम को ऑपरेशन रोकना पड़ा। ITBP के जवान माणा गांव में अपने कैंप लौट आए जबकि शनिवार को फिर से बचाव अभियान शुरू करने की योजना बनाई गई है।
NDRFF NDRF और एसडीआरएफएफ की टीमें राहत कार्य में जुटी
नेटवर्क की समस्या के कारण घटनास्थल से संपर्क स्थापित करने में कठिनाई हो रही है। जो तस्वीरें सामने आई हैं उनमें सेना के जवानों को घायल मजदूरों को कंधे पर उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाते देखा गया। ये सभी मजदूर एक निजी प्रोजेक्ट पर कार्यरत थे। देहरादून पुलिस हेडक्वॉर्टर के आईजी निलेश आनंद भरणे ने बताया कि घटनास्थल पर तीन से चार एंबुलेंस रवाना की गई हैं और लामबगड़ में सड़क को खोलने की कोशिश जारी है।
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सहस्रधारा हेलिपैड पर (Uttarakhand Glacier Burst) एक बचाव दल अलर्ट पर तैनात है। राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF और SDRF) की टीमें राहत कार्य में जुटी हैं। SDRF की ड्रोन टीम को भी तैयार रखा गया है लेकिन भारी बर्फबारी के कारण फिलहाल ड्रोन ऑपरेशन संभव नहीं हो पाया है।
मौके पर पहुंचे पुष्कर सिंह धामी
हादसे के बाद फंसे मजदूरों को बचाने के लिए राज्य सरकार तुरंत एक्शन में आई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हालात की समीक्षा के लिए डिजास्टर ऑपरेशन सेंटर पहुंचे। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी चमोली के माणा ग्लेशियर हादसे को लेकर मुख्यमंत्री से जानकारी ली।
ITBP और गढ़वाल स्काउट की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हैं। वहीं कर्णप्रयाग के पास ऋषिकेश-बद्रीनाथ हाईवे पहाड़ से लगातार मलबा गिरने के कारण बंद हो गया है। मौसम खराब होने और लगातार बारिश के चलते हाईवे पर कई जगह मलबा गिर रहा है जिससे रास्ता अवरुद्ध हो गया है।
सरकार ने हेल्पलाइन नंबर किया जारी
उत्तराखंड सरकार ने हादसे के बाद प्रभावितों के परिजनों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं। इनमें मोबाइल नंबर 8218867005, 9058441404, फोन नंबर 0135-2664315, और टोल-फ्री नंबर 1070 शामिल हैं।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं
उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन (Uttarakhand Glacier Burst) की घटनाएं पहले भी हो चुकी हैं। इससे पहले 7 फरवरी 2021 को रैणी गांव में ग्लेशियर टूटने से भारी तबाही हुई थी जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी। उस समय जोशीमठ के तपोवन इलाके में ग्लेशियर फटने से ऋषि गंगा और धौलीगंगा नदियों में जबरदस्त बाढ़ आ गई थी।
इस आपदा में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और तपोवन स्थित एनटीपीसी पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गए थे। हादसे में प्रोजेक्ट में काम कर रहे मजदूरों समेत 204 लोगों की मौत हो गई थी। आमतौर पर नवंबर से जनवरी तक उत्तराखंड और पूरे हिमालयी क्षेत्र में भारी बर्फबारी होती है जिसके बाद फरवरी से हिमस्खलन की घटनाएं शुरू हो जाती हैं।