चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत से पहले ग्रीन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया शुरू


Chardham Yatra 2025: उत्तराखंड में आगामी चारधाम यात्रा 2025 की शुरुआत से पहले, तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की सुव्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 30 अप्रैल, 2025 से शुरू होने वाली इस यात्रा में भाग लेने के लिए वाणिज्यिक वाहनों के लिए ग्रीन कार्ड जारी करना शुरू हो गया है। ग्रीन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया 11 अप्रैल, 2025 से ऋषिकेश में सहायक क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (एआरटीओ) में शुरू हो चुकी है। इस कदम का उद्देश्य यात्रियों को सुरक्षित और विनियमित यात्रा की सुविधा प्रदान करना है, और साथ ही उत्तराखंड के महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों जैसे यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक जाने वाले मार्गों पर यातायात का प्रबंधन भी करना है।

Chardham Yatra

ग्रीन कार्ड की महत्ता और प्रक्रिया

Chardham Yatra के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए ग्रीन कार्ड अनिवार्य किया गया है, जो वाणिज्यिक वाहनों जैसे बसों, टैक्सियों और वैन के लिए एक विस्तृत परमिट के रूप में कार्य करेगा। इस ग्रीन कार्ड में वाहन के फिटनेस प्रमाणपत्र, सड़क परमिट, बीमा, कर अनुपालन और प्रदूषण प्रमाणपत्र जैसे जरूरी विवरण होंगे। इन प्रमाणपत्रों की जांच और सत्यापन के बाद ही ग्रीन कार्ड जारी किया जाएगा। यह कदम यातायात सुरक्षा और पर्यावरण मानकों का पालन सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है, जिससे यात्रियों के लिए यात्रा सुरक्षित और व्यवस्थित होगी।

Chardham Yatra ग्रीन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया 11 अप्रैल को ऋषिकेश के एआरटीओ कार्यालय में पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शुरू हुई। विभाग ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और सुलभ बनाने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रणाली की शुरुआत की है। आवेदकों को अपने दस्तावेज़ ऑनलाइन अपलोड करने होंगे और इसके बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से वाहन फिटनेस जांच और दस्तावेज़ सत्यापन के लिए एआरटीओ कार्यालय में जाना होगा। ग्रीन कार्ड 30 नवंबर, 2025 तक वैध रहेगा, जो यात्रा सीजन के अंत तक की अवधि को कवर करता है।

सुरक्षा और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता

उत्तराखंड परिवहन विभाग ने इस बार ग्रीन कार्ड प्रणाली में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कई सुधार किए हैं। ग्रीन कार्ड की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, विभाग ने यह सुनिश्चित किया कि वाहन सड़क और सुरक्षा मानकों के अनुरूप हों। साथ ही, इस बार विभाग ने ट्रिप कार्ड की भी व्यवस्था की है, जिससे यात्रा की बारीकियों, यात्री विवरण और ट्रिप की निगरानी की जाएगी। इस व्यवस्था से न केवल यातायात प्रवाह बेहतर होगा, बल्कि दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।

इसके अतिरिक्त, यह कदम उत्तराखंड के हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए भी है, क्योंकि बढ़ते यातायात और अव्यवस्थित यात्रा से पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। पिछले वर्षों में हुई समस्याओं जैसे दस्तावेज़ संबंधी मुद्दों और यातायात देरी के मद्देनजर यह एक संरचित दृष्टिकोण अपनाया गया है।

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