क्राइम न्यूज़ डेस्क!!! हत्या की ये कहानी इतनी खौफनाक है कि इसे देखने वाले पुलिसवालों के भी रोंगटे खड़े हो गए. पुलिस ने जब इस गुत्थी को सुलझाया तो उन्हें खुद आश्चर्य हुआ कि क्या ऐसा कोई कातिल भी हो सकता है. इस मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने में पुलिस को दस दिन लग गए. इन दस दिनों में पुलिस के हाथ एक ऐसी गवाही लगी जिस पर वह चाहकर भी यकीन नहीं करना चाहती थी, लेकिन उसे नजरअंदाज भी नहीं कर सकती थी। क्योंकि उस गवाह का कातिल से खून का रिश्ता था. लेकिन वो इसलिए भी अहम था क्योंकि वो इस हत्याकांड का इकलौता चश्मदीद गवाह था. बस इतना समझ लीजिए कि इस मासूम की गवाही ने कातिल को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया और पुलिस को राहत की सांस लेने का मौका दे दिया.
जब पुलिस को सूटकेस लावारिस हालत में मिला
कहानी अक्टूबर 2013 में मुंबई के गोरेगांव में शुरू हुई जब पुलिस को मुंबई के मलाड के एक सुनसान इलाके में एक लावारिस सूटकेस पड़े होने की सूचना मिली। सूटकेस के आसपास मक्खियाँ भिनभिना रही थीं। जैसे ही पुलिस ने सूटकेस देखा तो उनके कान खड़े हो गए और आंखें फैल गईं. सूटकेस देखने के बाद पुलिस को एहसास हुआ कि इसमें कुछ ऐसा है जो नहीं होना चाहिए. पुलिस ने जैसे ही सूटकेस खोला तो उनके होश उड़ गए क्योंकि सूटकेस में एक लाश थी.
ब्लाइंड मर्डर केस
पुलिस को शव मिला, जिसे देखकर ऐसा लग रहा था कि हत्या के बाद उसे टुकड़ों में काटा गया है। लेकिन सवाल ये था कि ऐसा कौन कर सकता है, जिसके चलते पुलिस को शव को लावारिस समझकर सड़क से उठाना पड़ा. पुलिस के पास पीड़िता का कोई सुराग या पहचान नहीं है. शायद यही सोचकर हत्यारे ने शव को टुकड़ों में बांट दिया ताकि पहचान करना मुश्किल हो जाए और हत्यारे को भागने का मौका मिल जाए. सूटकेस की तलाशी के दौरान भी पुलिस को ऐसा कुछ नहीं मिला, जिससे दोनों की पहचान हो सके. पुलिस को अब मृतक की पहचान उसके कपड़ों में मिले कागज के कुछ टुकड़ों से पूरी करनी थी.
पुलिस 10 दिन में हत्यारे तक पहुंच गई
शायद यही सोचकर हत्यारे ने शव को टुकड़ों में काट दिया ताकि उसकी पहचान न हो सके. पुलिस से बचने के लिए शव को सूटकेस में भरकर सुनसान इलाके में फेंक दिया. इसके बावजूद कातिल की कोई भी चाल उसे ज्यादा देर तक कानून के शिकंजे से दूर नहीं रख सकी. महज दस दिन बाद पुलिस ने हत्यारे को पकड़ लिया. पुलिस ने सबसे पहले मृतक की पहचान की पुष्टि की. इसके लिए पुलिस को पीड़ित की जेब से जो दस्तावेज मिले, वे पर्याप्त नहीं थे. इसके बाद पुलिस ने अपने मुखबिरों की मदद ली और पूरे मुंबई में फैले मुखबिरों के नेटवर्क को सक्रिय कर दिया. कुछ ही दिनों में पुलिस को मृतक की पहचान मिल गई. नाम था अब्दुल रहमान अंसारी.
मासूम ने हत्यारे को खून पीते देखा
पुलिस को पता चला कि अब्दुल रहमान अंसारी को उसके रिश्तेदार मोहम्मद आलम खान ने कुछ दिन पहले अपने घर पर एक पार्टी में बुलाया था. उस पार्टी में आलम खान का दोस्त सिकंदर खान भी मौजूद था. तीनों ने जमकर शराब पी। और जब अब्दुल नशे बुरी तरह कुचल गया तो आलम खान ने धारदार हथियार से उसका गला काट दिया. आलम खान को इस बात का अंदाजा नहीं था कि घर में दो मासूम आंखें उसकी हरकतें देख रही हैं. जिसने यह भी देखा कि कैसे मृत व्यक्ति की चाकू से हत्या कर उसका खून पिया गया था.
निर्दोष की महान गवाही
दस दिनों तक पुलिस एक के बाद एक बिखरी हुई कड़ियों को जोड़ती गई और सीधे आलम खान की गर्दन तक पहुंच गई. पुलिस ने आलम खान और सिकंदर खान के अलावा उनके एक और सहयोगी को गिरफ्तार किया है. सवाल उठता है कि पुलिस ने हत्याकांड की बिखरी कड़ियों को कैसे जोड़ा. दरअसल, जब पुलिस को पता चला कि अब्दुल रहमान अंसारी ने आलम खान और सिकंदर खान के साथ पार्टी की है और शराब पी है. तो वही दो नाम और एक ही पार्टी का हवाला देते हुए पुलिस दोनों के घर पहुंच गई. उस वक्त पुलिस को आलम और सिकंदर तो नहीं मिले, लेकिन घर में सात साल का बच्चा मिल गया, जिसने सब कुछ अपनी आंखों से देखा था.
पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझा ली
इस चश्मदीद की गवाही के बाद ही जब पुलिस ने अपनी जांच आगे बढ़ाई तो कड़ियां जुड़ने लगीं और हत्या का राज खुल गया. बच्चे ने अपने पिता को अब्दुल रहमान अंसारी की हत्या करने के बाद उसके चेहरे से खून साफ करते हुए देखा. बच्चे को लगा कि हत्या के बाद उसके पिता ने उसका खून पी लिया है. पुलिस ने हत्या की गुत्थी सुलझाते हुए चश्मदीद बच्चे की गवाही के आधार पर उसके पिता आलम खान समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
सास के साथ अवैध संबंध बर्दाश्त नहीं
अब पुलिस के सामने सवाल और भी बड़ा था कि हत्या के पीछे का मकसद क्या था? तो हत्या के आरोपी आलम खान ने पुलिस के सामने यह खुलासा किया. आलम खान ने पुलिस को बताया कि अब्दुल रहमान की हत्या के पीछे की वजह दरअसल उसे सबक सिखाना था. क्योंकि अब्दुल का आलम खान की सास से अवैध संबंध था. और आलम खान को इस रिश्ते की जानकारी थी. आलम को अपनी सास और अब्दुल का रिश्ता बर्दाश्त नहीं था इसलिए उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची. पुलिस जांच में यह भी पता चला कि अब्दुल रहमान ने आलम खान को कुछ पैसे उधार दिए थे, जिसे आलम वापस करने के मूड में नहीं था। इसीलिए आलम खान ने झगड़े को हमेशा के लिए खत्म करने के लिए यह साजिश रची. हालांकि पुलिस को हत्या के पीछे अवैध संबंध की बात ज्यादा समझ आ रही है.