दमोह फर्जी डॉक्टर: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम पीड़ितों से मिली, आरोपी डॉक्टर प्रयागराज से गिरफ्तार


दमोह के अस्पताल में हार्ट सर्जरी के दौरान 7 मौतों के आरोपों के बीच पहला मामला दर्ज किया गया है। इस मामले में रात के अंधेरे में देर रात जिले के मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने कोतवाली थाना पहुंचकर सर्जरी करने वाले फर्जी डॉक्टर डॉ. एन जॉन केम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। वहीं इस मामले में कलेक्टर ने मीडिया से बातचीत की है। देर शाम आरोपी डॉक्टर को पुलिस ने प्रयागराज से गिरफ्तार कर लिया है। इसकी पुष्टि एमपी श्रुतकीर्ती सोमवंशी ने की है।

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क्या बोले दमोह कलेक्टर

दमोह कलेक्टर कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की टीम दमोह पहुंची है। आयोग की तीन सदस्यीय टीम ने प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों से चर्चा की है। इसके अलावा टीम पीड़ित परिवार के लोगों से भी मिल रही है। साथ ही ऑपरेशन से संबंधित कागजातों को भी देखा जा रहा है। ये क्रम अभी लगातार चलेगा। आयोग की टीम नौ अप्रैल दोपहर तक रहेगी। टीम जो भी प्रमाण मांग रही है, वो सभी उपलब्ध कराए जा रहे हैं। आयोग के निष्कर्षों के बाद स्थिति साफ हो जाएगी। वहीं टीम के सदस्यों से मीडिया ने बात करनी चाही। इस पर सदस्यों ने कहा कि वे जांच के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में होंगे।

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इन धाराओं में दर्ज हुआ मामला

सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि सीएमएचओ डॉ. मुकेश जैन ने कोतवाली में जांच प्रतिवेदन देकर आरोपी डॉक्टर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज कराया है। प्रतिवेदन में उल्लेखित तथ्य के आधार पर डॉक्टर नरेन्द्र जान केम और अन्य के विरुद्ध धारा 318 (4),338, 336(3) 340(2)3 (5) वीएनएस, मप्र आयुर्वेज्ञान परिषद अधिनियम 1987 की धारा 24 का अपराध घटित करना पाए जाने से मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया है।

सीएसपी अभिषेक तिवारी ने बताया कि  डॉ. जॉन केम के पास ऑपरेशन करने की योग्यता से संबंधित लाइसेंस नहीं था। डॉक्टर नरेन्द्र जान केम के द्वारा मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसल में बिना पंजीयन के मिशन अस्पताल में एन्जियोग्राफी और एन्जियोप्लास्टी कर धोखाधड़ी की है। डॉक्टर के मेडिकल दस्तावेज रजिस्ट्रेशन की साइट पर नहीं दिख रहे हैं। साथ ही मप्र मेडिकल काउंसिल में बिना पंजीयन के कोई भी चिकित्सक मध्यप्रदेश में अपनी सेवाएं नहीं दे सकता है। इस संबंध में मिशन अस्पताल द्वारा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराये गए हैं।

पीड़ित कृष्णा पटेल ने क्या बताया ?

कृष्णा पटेल ने पहली शिकायत बाल कल्याण आयोग अध्यक्ष दीपक तिवारी से की थी। पीड़ित कृष्णा पटेल ने बताया कि उनके रिश्तेदार को  डॉक्टर ने बिना टेस्ट के ही हार्ट में ब्लॉकेज बता दिए थे। तब उन्होंने इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि एंजियोग्राफी के उपरांत ही हार्ट के ब्लाकेज का पता चलता है। इस पर उनसे डॉक्टर ने पढ़ाई के बारे में पूछा था। हालांकि बाद में उनके रिश्तेदार की  एंजियोग्राफी हुई थी। हालांकि उसके विजुअल फुटेज  मांगने पर उनको डांटा गया था। बाद में उन्होंने अपने रिश्तेदार को डिस्चार्ज करा लिया था।

लापरवाही तो हुई है

रेशमा बेगम के मामले में बेटे नवी कुरैशी ने बताया कि हमारी मां की तबीयत खराब हो गई थी। सरकारी अस्पताल ले गए थे। वहां से उन्होंने रेफर कर दिया तो मिशन अस्पताल लेकर गए। वहां जो ड्यूटी डॉक्टर थे, उन्होंने कहा कि आप 50 हजार रुपये जमा करें। फिर हमने उन्हें डिस्चार्ज करा लिया। प्राइवेट अस्पताल में चेक कराया, ईको वगैरह तो वहां बताया गया कि दो नसें ब्लॉक हो गईं, एक 92% तो दूसरी 80% तक। हमने जब ईको की जांच मांगी तो उन्होंने जांच नहीं दी। दो दिन चक्कर लगवाए। फिर हमने मैनेजर से बात की तो उन्होंने डॉक्टर से इस विषय़ में बात की। हम डॉक्टर से मिले तो उन्होंने कहा कि ब्लॉकेज हैं और ऑपरेशन हो जाएगा। उन्होंने ऑपरेशन किया, पर इस दौरान हमारी मां की मौत हो गई। नवी कुरैशी ने बताया कि मां को पहले भी अटैक आया था एक साल पहले, पर वो इलाज से ठीक हो गई थीं। उनका मानना है कि मिशन अस्पताल में लापरवाही तो हुई है। मेरी मां की उम्र तकरीबन 63 साल थी। हार्टअटैक से मौत होना बताया गया था तो हमने पोस्टमार्टम भी नहीं कराया। हमें तो अभी पता चला है कि डॉक्टर फर्जी है।

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