अपील- अगर आप मार्केट से खराब सामान लाते हैं, तो उसे बदल देते हैं, नेता पसंद नहीं आता तो किसी और को वोट करते हैं, फिर खबरों के साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं. टीवी स्टूडियो में चिकचिक, लड़ाई, गाली कब तक देखिएगा.. ऐसी खबर देखिए, पढ़िए जिससे देश और आपके सोच का विकास हो. इसलिए क्विंट के मेंबर बनिए. सब्सक्राइब कीजिए.
दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और आम आदमी पार्टी से लेकर बीजेपी, कांग्रेस तीनों ही ‘मुफ़्त’ की कई योजनाओं के जरिए वोटर को लुभाने की कोशिश में हैं. ऐसे में सवाल है कि फ्री क्या है?
जवाब है- कुछ भी नहीं. जनता यानी आप और हम टैक्स देते हैं, बदले में राजनीतिक दल जो सत्ता में होती है वो अपनी सत्ता बचाने के लिए और देश के विकास के लिए वेलफेयर स्कीम के साथ-साथ सड़क, बिजली, सुरक्षा देती है.
आरबीआई ने अपनी 2022 में एक बुलेटिन में “फ्रीबीज” का जिक्र किया था और इसे “निःशुल्क दिए जाने वाले लोक कल्याण उपाय” यानी “public welfare measures provided free of charge” के रूप में डिफाइन किया था.
यहां आपको समझना होगा कि वेलवेयर और रेवड़ी में क्या फर्क है?
रेवड़ी को ऐसे समझिए कि जैसे कोई मुखिया चुनाव जीतने के लिए कहे कि चुनाव जीतेंगे तो गांव के हर घर से एक आदमी को सरकारी नौकरी देंगे
-हवाई अड्डा बनवाएंगे.
-बुजुर्गों को बीड़ी देंगे, महीने में चार बोतल दारू देंगे, साड़ी बांटेंगे, कपड़ा बाटेंगे.
तो फिर इसमें गलत क्या है? गलत है- फंड की कमी होने के बाद भी वादों की लंबी लिस्ट, मिसमैनेजमेंट और योजनाओं का फायदा गलत लोगों को मिलना. मतलब अगर आपके पास पैसे हैं, तो आप शिक्षा या हेल्थ पर ही सारे पैसे खर्च नहीं कर देंगे. और भी विकास के काम हैं.