दोबारा वृंदावन में शुरू हुई Premananda Maharaj की पदयात्रा, दर्शन के लिए उमड़ी बेतहाशा भीड़, राधे-राधे जपनाम से गूंजी सड़कें


Premananda Maharaj : कई दिनों के इंतजार के बाद प्रेमानंद जी महाराज की रात 2 बजे निकलने वाली पदयात्रा एक बार फिर शुरू हो गई है। सुबह से ही सैकड़ों श्रद्धालु उनके दर्शन के लिए वृंदावन पहुंच गए थे और ठंड में भी सड़कों पर रहकर महाराज जी के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

जैसे ही रात 2 बजे प्रेमानंद जी महाराज अपनी यात्रा के लिए निकले, भक्तों ने उनका भव्य स्वागत किया। वे श्रीकृष्ण शरणम आश्रम से निकलकर वृंदावन की गलियों से होते हुए करीब 3 किलोमीटर पैदल चलकर श्रीराधा केली कुंज आश्रम पहुंचे। रास्तों में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फूलों से सजावट की थी, और ‘राधे-राधे’ के संकीर्तन और जयकारों से वातावरण भक्तिमय हो गया था। हर उम्र के भक्तों में उत्साह और भक्ति की गहरी भावना स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी।

राधे-राधे जपनाम से गूंजी सड़कें

करीब एक सप्ताह बाद यात्रा दोबारा शुरू होने से कई भक्त भावुक हो गए। प्रेमानंद जी महाराज और राधा-कृष्ण के नाम के नारे लगाते हुए श्रद्धालुओं में वही जोश और भक्ति देखी गई, जो पहले थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो इस एक हफ्ते में उनसे कुछ बेहद मूल्यवान छिन गया था।

बता दें, कि प्रेमानंद जी महाराज प्रतिदिन रात 2 बजे श्रीकृष्ण शरणम आश्रम से श्रीराधा केली कुंज आश्रम तक पैदल यात्रा करते थे। इस दौरान श्रद्धालु बैंड-बाजे, आतिशबाजी और लाउडस्पीकर के माध्यम से भक्ति में लीन हो जाते थे। हालांकि, रात के समय होने वाले इस शोरगुल को लेकर एनआरआई ग्रीन सोसाइटी के निवासियों ने आपत्ति जताई थी। उन्होंने बुजुर्गों और बच्चों की सेहत का हवाला देते हुए यात्रा के शोर को लेकर विरोध दर्ज कराया, जिसके चलते यह यात्रा रोक दी गई थी।

दर्शन के लिए उमड़ी बेतहाशा भीड़

शांत और सरल स्वभाव के प्रेमानंद जी महाराज ने विरोध करने वालों के प्रति किसी भी प्रकार की कटु प्रतिक्रिया नहीं दी। बल्कि, उन्होंने इन आपत्तियों को स्वीकार करते हुए यात्रा बंद कर दी और विरोध करने वालों को भी सम्मानपूर्वक प्रणाम किया।

हालांकि, इस निर्णय से ब्रजवासियों में रोष व्याप्त हो गया और उन्होंने विरोध स्वरूप एनआरआई सोसाइटी के लोगों का सामाजिक बहिष्कार शुरू कर दिया। जब यह खबर फैली कि महाराज जी ने अपनी यात्रा रोक दी है, तो उनके भक्त निराश हो गए। आधी रात को वृंदावन की गलियों में होने वाले संकीर्तन और भक्ति की वह दिव्य अनुभूति जो उनके लिए विशेष थी, अब खो गई थी।

लेकिन अब जब यात्रा दोबारा शुरू हो गई है, ब्रजवासियों और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं में अपार उत्साह देखा जा रहा है। अब भक्तों को निराश होकर लौटना नहीं पड़ेगा और वे एक बार फिर प्रेमानंद जी महाराज की आधी रात की इस भक्ति यात्रा में शामिल होकर दिव्य अनुभूति का अनुभव कर सकेंगे।



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