गाजियाबाद समाचार: गाजियाबाद न्यायालय ने कैदियों की रिहाई प्रक्रिया में क्रांतिकारी बदलाव करते हुए इसे डिजिटल बना दिया है। अब जमानत मिलने के बाद रिहाई का आदेश सीधे ऑनलाइन जेल को भेजा जाएगा जिससे देरी की समस्या खत्म हो जाएगी। इस पहल के तहत एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया गया है जो न्यायालय और जेल को जोड़ता है जिससे कैदियों को तय समय में रिहा किया जा सकेगा।
एडवोकेट उमेश भारद्वाज ने क्या बताया?
एडवोकेट उमेश भारद्वाज के मुताबिक पहले रिहाई आदेश में त्रुटियां होने से कैदियों की रिहाई में देरी होती थी। आदेश को सुधारने में अतिरिक्त समय लगता था जिससे कैदी अनावश्यक रूप से जेल में रहने को मजबूर हो जाते थे। नई व्यवस्था में त्रुटियों को तुरंत ऑनलाइन ठीक किया जा सकेगा जिससे प्रक्रिया सुचारु होगी।
पहले रिहाई सुबह 6 से 8 बजे या शाम 6 बजे के बाद ही होती थी। यदि आदेश लाने (Ghaziabad News) में देरी होती तो कैदी को अगले दिन तक जेल में रहना पड़ता था। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार बिना कारण कैदियों को हिरासत में नहीं रखा जा सकता जिसके अनुपालन में यह कदम उठाया गया है।
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डासना जेल के सुपरिंटेंडेंट ने क्या कहा?
डासना जेल के सुपरिंटेंडेंट सीताराम शर्मा ने बताया, “कुछ रिहाई आदेश पहले ही ऑनलाइन आने शुरू हो गए हैं। डिजिटल प्रणाली से काम तेजी से होगा और कैदियों को समय पर रिहाई मिलेगी।” यह कदम अंग्रेजी युग की पुरानी परंपरा को खत्म करेगा, जहां रिहाई के लिए भौतिक परवाने की जरूरत पड़ती थी।
नई व्यवस्था से न केवल समय बचेगा, बल्कि मानव त्रुटियों की संभावना भी कम होगी। गाजियाबाद न्यायालय और डासना जेल के इस प्रयास से कैदियों के अधिकारों की रक्षा में एक नई शुरुआत हुई है, जो अन्य जिलों के लिए भी मिसाल बन सकता है।