भुवनेश्वर, 10 दिसंबर (आईएएनएस) ओडिशा में 2014-15 से नवंबर 2024 के अंत तक विभिन्न कारणों से 857 हाथियों की मौत हो गई।
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंहखुंटिया ने मंगलवार को राज्य विधानसभा में यह जानकारी दी.
भाजपा विधायक प्रशांत कुमार जगदेव के सवाल का जवाब देते हुए वन मंत्री ने कहा कि उपरोक्त अवधि में विभिन्न बीमारियों से सबसे ज्यादा हाथियों की मौत हुई है. पिछले 10 वर्षों के दौरान और इस वर्ष नवंबर तक लगभग 305 जंबो विभिन्न बीमारियों के कारण मर गए।
सिंहखुंटिया ने आगे कहा कि पिछले दस वर्षों के दौरान ओडिशा के जंगलों में 229 हाथियों की मौत के लिए प्राकृतिक कारण जैसे सनस्ट्रोक, एक-दूसरे के साथ संघर्ष, पहाड़ी की चोटी से गिरना आदि भी जिम्मेदार हैं। इसी तरह, 2014-15 से नवंबर 2024 तक राज्य में बिजली के झटके से 149 पचीडरम की मौत हो गई।
शिकारियों ने 30 हाथियों को मार डाला जबकि 90 हाथियों की मौत के कारणों का पता नहीं चल सका। पिछले दस वर्षों के दौरान ट्रेन और सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम 36 जंबो मारे गए।
वन मंत्री ने यह भी बताया कि राज्य में मई 2015, मई 2017, मई और नवंबर 2024 में की गई हाथियों की गणना में ओडिशा के जंगलों में क्रमशः 1954, 1976, 2098 और 2103 हाथियों की उपस्थिति दर्ज की गई है।
रिपोर्टों के अनुसार, हाथियों की मौत के सिलसिले में हाल ही में राज्य में 26 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि दो वन रक्षकों और एक वनपाल को अपने कर्तव्यों में लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया है।
इसी तरह, पिछले तीन वर्षों के दौरान राज्य भर में हाथियों के हमलों के कारण 668 लोग मारे गए। उपरोक्त अवधि के दौरान राज्य में मानव-हाथी संघर्ष के कारण 509 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि ओडिशा में पिछले तीन वर्षों के दौरान हाथियों ने 139 घरेलू जानवरों को मार डाला और 10259 घरों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जंबो झुंडों ने इसी अवधि में राज्य में लगभग 73620 एकड़ भूमि में फसलों को भी नष्ट कर दिया।
–आईएएनएस
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