प्रतापगढ़ के रानीगंज थाना इलाके के दुर्गागंज बाजार स्थित एक निजी अस्पताल में काम करने वाली अनुसूचित जाति की महिलाकर्मी की मौत पर शुक्रवार को बवाल हो गया। सुबह परिजन व ग्रामीण अस्पताल के सामने शव रखकर गैंगरेप व हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग कर रहे थे। पुलिस ने हस्तक्षेप किया तो पत्थरबाजी शुरू हो गई, जिसमें सीओ का सिर फट गया। पुलिसकर्मियों समेत कुल 13 लोग घायल हुए हैं। दुर्गागंज बाजार स्थित मां मल्टी स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में चार साल से क्षेत्र की युवती (22) सफाई व नर्सिंग का काम करती थी।
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रानीगंज के दुर्गागंज बाजार में घटना के बाद पहुंचे एसपी डॉ.अनिल कुमार
– फोटो : अमर उजाला
अस्पतालकर्मी ने मां को फोन कर बुलाया
उसकी मां के मुताबिक, बृहस्पतिवार की शाम करीब छह बजे बेटी अस्पताल ड्यूटी पर गई थी। रात करीब आठ बजे अस्पतालकर्मी ने उसे फोन कर बुलाया। वह पहुंची तो उसे गेट पर रोक लिया गया। कुछ देर बाद बेटी के मौत की जानकारी दी। इसके बाद एंबुलेंस में शव लेकर तीन कर्मचारी उसके घर पहुंचे।
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रानीगंज के दुर्गागंज बाजार में निजी अस्पताल के सामने तैनात पुलिस
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‘बेटी के शरीर पर अंडरगारमेंट नहीं थे’
अस्पताल कर्मी शव रखकर भागने की फिराक में थे। शोर-शराबे पर ग्रामीणों ने तीनों को पकड़ कर बंधक बना लिया। सूचना पर पहुंची पुलिस तीनों को अपने साथ ले गई। मां ने बताया कि उसकी बेटी के शरीर पर अंडरगारमेंट नहीं थे और चोट के निशान थे। ऐसे लग रहा था, जैसे गैंगरेप कर उसकी हत्या की गई हो। तहरीर देने के बाद भी पुलिस पोस्टमार्टम के बाद कार्रवाई की बात करती रही।
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रानीगंज के दुर्गागंज में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के दौरान मची भगदड़
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शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन
शुक्रवार की सुबह पुलिस के कार्रवाई न करने पर भड़के ग्रामीण चारपाई पर शव लेकर तीन किमी दूर अस्पताल चल पड़े। रास्ते में पुलिस लोगों को रोकने का प्रयास करने लगी, जिसे लेकर झड़प हुई। सैकड़ों की तादात में ग्रामीण अस्पताल पहुंच गए। भीतर प्रवेश करने लगे तो पुलिस ने रोक दिया। इस पर शव सड़क पर रखकर प्रदर्शन करने लगे।
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रानीगंज के दुर्गागंज में पुलिस द्वारा लाठीचार्ज के दौरान मची भगदड़
– फोटो : संवाद
12 घंटे से अस्पताल में बंद तीन मरीजों को पुलिस ने निकाला
युवती की मौत के बाद अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारी व चिकित्सक भर्ती मरीजों को छोड़कर भाग निकले। अस्पताल में ताला लगा होने के कारण मरीज 12 घंटे से भीतर ही घुटते रहे। बवाल थमने के बाद पुलिस ने छत के रास्ते भीतर पहुंचकर भर्ती प्रसूता सोनम यादव व मंजू गौतम और मधुमेह की बीमारी से पीड़ित रामकिशन को बाहर निकालकर सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।