ब्रेकिंग न्यूज़: पोप फ्रांसिस का 88 वर्ष की आयु में निधन, पूरी दुनिया में शोक की लहर


पोप फ्रांसिस डेथ: आज 21 अप्रैल 2025 को दुनिया भर के कैथोलिक समुदाय के लिए एक दुखद दिन है। रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप, पोप फ्रांसिस का वेटिकन सिटी के कासा सांता मार्टा में 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से चल रही स्वास्थ्य समस्याओं और हाल ही में हुई गंभीर सांस संबंधी जटिलताओं के कारण वह जीवन की अंतिम अवस्था में थे। वेटिकन के कैमरलेंगो, कार्डिनल केविन फैरेल ने उनके निधन की औपचारिक पुष्टि की और कहा, “उन्होंने प्रभु और चर्च की सेवा में अपना जीवन समर्पित किया।” इस खबर के सामने आते ही दुनिया भर से श्रद्धांजलि संदेशों की बाढ़ आ गई है। उनके निधन के साथ ही अब नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी।

वेटिकन में छाया मातम, श्रद्धांजलियों का सैलाब

Pope Francis, जिनका जन्म 17 दिसंबर 1936 को अर्जेंटीना में हुआ था, कैथोलिक चर्च के पहले दक्षिण अमेरिकी, पहले जेसुइट, और पहले गैर-यूरोपीय पोप थे। 13 मार्च 2013 को उन्होंने संत पापा का पद संभाला और 12 वर्षों तक चर्च का नेतृत्व किया। चर्च की परंपराओं में नवाचार लाने वाले इस पोप ने हमेशा गरीबों, वंचितों और पर्यावरण की रक्षा की बात की। उनके निधन की खबर मिलते ही सेंट पीटर स्क्वायर में हज़ारों लोग एकत्र हो गए। मोमबत्तियां जलाकर, प्रार्थनाएं करके और फूल चढ़ाकर लोगों ने श्रद्धांजलि दी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति और संयुक्त राष्ट्र महासचिव समेत दुनिया के प्रमुख नेताओं ने अपनी संवेदनाएं व्यक्त कीं।

पोप फ्रांसिस की जीवन यात्रा: साधारणता से महानता तक

जॉर्ज मारियो बर्गोग्लियो के रूप में जन्मे पोप फ्रांसिस का जीवन संघर्ष, सेवा और सादगी का परिचायक रहा। युवा अवस्था में गंभीर बीमारी के बाद उन्होंने ईश्वर की सेवा का निर्णय लिया और जेसुइट ऑर्डर में शामिल हुए। वह 1969 में पादरी नियुक्त हुए, 1998 में ब्यूनस आयर्स के आर्कबिशप बने, और 2001 में कार्डिनल। उनका जीवन हमेशा चर्च के बाहर खड़े लोगों को गले लगाने की प्रेरणा देता रहा। पोप बनने के बाद भी उन्होंने विलासिता का त्याग किया और वेटिकन पैलेस की जगह साधारण अतिथि गृह में रहना पसंद किया। उनके अनुसार, “चर्च को महलों में नहीं, सड़कों पर, लोगों के बीच होना चाहिए।”

चर्च की दिशा अब कौन तय करेगा? नए पोप की तलाश शुरू

Pope Francis के निधन के साथ ही चर्च में अब नए पोप के चयन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सिस्टिन चैपल में कार्डिनल्स का कॉन्क्लेव बुलाया जाएगा, जिसमें 80 वर्ष से कम आयु के कार्डिनल्स हिस्सा लेंगे। दो-तिहाई बहुमत से चुना गया उम्मीदवार ही अगला पोप होगा। चर्च के जानकारों के अनुसार, इस बार एक अफ्रीकी या एशियाई पोप के चयन की संभावना है, जिसमें कार्डिनल लुइस एंटोनियो तागले (फिलीपींस) और कार्डिनल पीटर तुर्कसन (घाना) प्रमुख नाम हैं। चर्च के उदारवादी और रूढ़िवादी गुटों के बीच संतुलन बनाते हुए, नए पोप को बाल यौन शोषण जैसे संवेदनशील मुद्दों, पर्यावरण संकट, और युवा पीढ़ी में चर्च की स्वीकार्यता जैसे विषयों से जूझना होगा।

एक युग का अंत, नई दिशा की प्रतीक्षा

Pope Francis का निधन सिर्फ एक आध्यात्मिक नेता के जाने की खबर नहीं है, बल्कि यह उस युग का अंत है जिसने कैथोलिक चर्च को अधिक समावेशी, मानवीय और प्रगतिशील दिशा दी। उन्होंने अपने कार्यकाल में समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को आवाज़ दी, और दुनिया को यह संदेश दिया कि करुणा, संवाद और सेवा ही सच्चा धर्म है। अब जब चर्च नए पोप की ओर देख रहा है, पूरी दुनिया इस बात की प्रतीक्षा कर रही है कि चर्च का अगला अध्याय किस दिशा में जाएगा। लेकिन एक बात निश्चित है – पोप फ्रांसिस की विरासत आने वाले वर्षों तक करोड़ों दिलों में जीवित रहेगी।

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