मनमोहन सिंह से जुड़े संस्मरण: वे प्रधानमंत्री थे…मगर हमारे लिए खुद मेज लेकर आए, श्रीनाथ रेड्डी ने किया याद



पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह।
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


दिवंगत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का इलाज करने वाले चिकित्सक भी उनकी विनम्रता और सहजता के कायल थे। प्रधानमंत्री के चिकित्सा पैनल के अध्यक्ष रहे डॉ. श्रीनाथ रेड्डी बताते हैं कि प्रधानमंत्री बनने के बाद डॉ. मनमोहन सिंह अभी अपने सफदरजंग लेन वाले आवास पर थे। हमारे वहां पहुंचने पर हमारी सुविधा के लिए एक छोटी मेज खुद लेकर आए, ताकि हम आराम से चाय पी सकें। इसके लिए उन्होंने अपने किसी घरेलू सहायक को बुलाना जरूरी नहीं समझा। रेड्डी कहते हैं कि यह लम्हा उनके जेहन में हमेशा के लिए बस गया। वे बताते हैं कि यह वाकया उनके 7 रेसकोर्स रोड स्थित प्रधानमंत्री आधिकारिक आवास में जाने से कुछ ही दिन पहले का है।

ट्रेंडिंग वीडियो

दिल्ली एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. रेड्डी ने मनमोहन को विद्वान होने के बाद भी बेहद ही विनम्र शख्स के तौर पर याद किया। वह कहते हैं कि मनमोहन सिंह ऐसे मरीज थे, जो हमेशा ही उनकी दी गई चिकित्सकीय सलाह को संजीदगी से लिया करते थे। जब तक हम चिकित्सा सलाह सही और पूरे तरीके से समझा नहीं लेते थे, सिंह कभी बीच में नहीं बोलते थे। सब्र के साथ बात सुनते और मानते थे। वे सुसंस्कृत शख्स और असाधारण शिष्टाचार के प्रतीक थे।

डॉक्टरों की सलाह पर यकीन

एम्स के पूर्व निदेशक और पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रणदीप गुलेरिया ने उन्हें चिकित्सकीय निर्देशों का पूरी लगन से पालन करने वाला अनुशासित, मृदुभाषी, सरल और आज्ञाकारी मरीज कहा। दिल्ली एम्स के आरपी सेंटर प्रमुख डॉ. जीवन तितियाल ने 2008 में उनकी दोनों आंखों की मोतियाबिंद सर्जरी की थी। डॉ जीवन तितियाल कहते हैं कि वे जिज्ञासु थे, लेकिन पूरी तरह से डॉक्टरों पर यकीन करते थे।

डॉक्टरों को कार तक जाते थे छोड़ने

डॉ. रेड्डी बताते हैं कि जब भी वे उनके आवास पर जाते थे, तो वे हमें कार तक छोड़ने आते थे। उन्होंने बताया कि जनवरी 2009 में जब उन्हें फिर कोरोनरी धमनी बाईपास ग्राफ्टिंग करवानी पड़ी, तो डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि वे यह एम्स दिल्ली में करवाएंगे, न कि विदेश की चिकित्सा सुविधाओं में। जब मैंने उन्हें दोनों प्रक्रियाओं एंजियोप्लास्टी और बाईपास सर्जरी के फायदे और नुकसान बताए, तब वे कैथ लैब में थे। मुझे अच्छी तरह याद है कि उन्होंने 30 सेकंड का वक्त लिया और कहा चलो संभावनाओं के संतुलन पर सर्जरी के लिए चलते हैं। वे अर्थशास्त्री की तरह बात करते थे। उनके दिमाग में बहुत साफगोई थी।

संबंधित वीडियो





Source link

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.