शराब दुकान लोकेशन जांच में घालमेल, एक पर सितम.. बाकी पर रहम,  कासगंज में आबकारी विभाग की मनमानी उजागर


कासगंज समाचार: उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने जनसुनवाई पोर्टल के जरिए शिकायतों के शत-प्रतिशत गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के सख्त निर्देश दिए हैं, लेकिन कासगंज जिले के आबकारी विभाग पर इन आदेशों का कोई असर नहीं दिख रहा। यहां शराब दुकानों की लोकेशन को लेकर की गई जांच में मनमानी और नियमों की अनदेखी का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

गंजडुंडवारा के गांधी रोड पर मंदिर और विद्यालयों के पास चल रही शराब दुकानों की शिकायत पर जांच में खेला गया जिससे विभागीय अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। एक दुकान को स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया जबकि बाकी को नियमों के खिलाफ होने के बावजूद राहत दे दी गई।

क्या है पूरा मामला?

गंजडुंडवारा कस्बे के गांधी रोड पर चार शराब दुकानें देशी और अंग्रेजी मंदिरों और विद्यालयों के बेहद करीब संचालित हो रही हैं। एक स्थानीय निवासी ने इन दुकानों से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने और स्कूली बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ने का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज की। शिकायत में इन दुकानों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।

पहले चरण में जिला आबकारी विभाग कासगंज ने जांच कर सभी दुकानों को नियमानुसार बताते हुए शिकायत का निस्तारण कर दिया। शिकायतकर्ता ने इस पर असंतोष जताया, जिसके बाद दूसरी जांच उप आबकारी आयुक्त, अलीगढ़ से कराई गई। इस जांच में भी विभाग ने राजस्व के नुकसान का हवाला देकर दुकानों को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया और मामला बंद कर दिया गया।

शिकायतकर्ता ने हार नहीं मानी और तीसरी बार जांच की मांग की। इस बार संयुक्त आबकारी आयुक्त (Kasganj News) को जांच सौंपी गई लेकिन फिर से उप आबकारी आयुक्त, अलीगढ़ और सहायक आबकारी आयुक्त (प्रवर्तन-3) ने मिलकर जांच में हेरफेर कर दिया। यह जांच अब सवालों के घेरे में है।

इंचीटेप से दूरी माप में खुलासा

27 मार्च को तीसरी जांच के दौरान अधिकारियों ने दूरी मापने के लिए इंचीटेप का सहारा लिया। शासन की नियमावली 1968 के मुताबिक मंदिर और विद्यालय से शराब दुकान की दूरी 75 मीटर से अधिक होनी चाहिए। जांच में ज्ञानदीप विद्या मंदिर के पास स्थित एक बीयर दुकान महज 20 मीटर की दूरी पर पाई गई जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। आबकारी निरीक्षक क्षेत्र-2 पटियाली ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि इसे नए वित्त वर्ष यानी 1 अप्रैल 2025 से दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया जाएगा।

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बाकी दुकानों पर नियमों की अनदेखी

हालांकि अन्य तीन दुकानों की जांच में गुणवत्ता (Kasganj News) से समझौता करते हुए नियमों को ताक पर रख दिया गया। पांच गवाहों के बयानों का सहारा लेकर इन दुकानों को मंदिर और विद्यालयों से दूर और नियमानुसार बताया गया। जांच में क्षेत्र को वाणिज्यिक क्षेत्र घोषित कर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई। लेकिन वास्तविकता कुछ और ही कहती है।

देशी शराब दुकान क्रमांक-2 राजकीय मान्यता प्राप्त प्रकाशवती विद्यापीठ से 15 कदम, मॉडल शॉप मां सरस्वती पब्लिक जूनियर हाई स्कूल से 20 कदम और देशी शराब दुकान क्रमांक-1 भी 15 कदम की दूरी पर है। इसके अलावा सभी दुकानें आवासीय तेल मिल कॉलोनी और अन्य बस्तियों के बेहद करीब हैं। यह जांच अधिकारी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

शराब दुकान लोकेशन के नियम क्या कहते हैं?

शासन के नियमों के अनुसार किसी सार्वजनिक पूजा स्थल, विद्यालय, चिकित्सालय या आवासीय कॉलोनी से शराब दुकान की दूरी नगर निगम क्षेत्र में 50 मीटर से अधिक, नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत में 75 मीटर से अधिक, नगरपालिका परिषद और नगर पंचायत में 75 मीटर से अधिक, अन्य क्षेत्रों में 100 मीटर से अधिक होनी चाहिए। इन नियमों के बावजूद जांच में एक दुकान को छोड़कर बाकी को राहत दे दी गई जो आबकारी विभाग की मनमानी को उजागर करता है।

जांच की गुणवत्ता पर सवाल

यह मामला मुख्यमंत्री पोर्टल की शिकायत निस्तारण प्रक्रिया की गुणवत्ता पर भी सवाल उठा रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि बार-बार जांच के बावजूद हर बार तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा गया। वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। एक तरफ नियमों का उल्लंघन करने वाली दुकान को स्थानांतरित करने का फैसला लिया गया तो दूसरी तरफ बाकी दुकानों को बचाने के लिए गवाहों और कागजी हेरफेर का सहारा लिया गया। यह दोहरा रवैया विभाग की विश्वसनीयता को कठघरे में खड़ा कर रहा है।

कासगंज के इस मामले (Kasganj News) ने न केवल आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में ला दिया है बल्कि सरकार के जनहितकारी दावों पर भी बहस छेड़ दी है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह भी कागजों में दफन हो जाएगा।

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