संभल हिंसा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जामा मस्जिद के पिछले हिस्से में स्थित हाफिजों वाली मस्जिद वाली सड़क से भीड़ एकत्र हुई थी। इसका प्रमाण ड्रोन कैमरे से बनाई गई वीडियो मिलता है। इससे यह भी साफ होता है कि इस सड़क पर पुलिस का कोई पहरा नहीं था। इसलिए भीड़ धीरे-धीरे एकत्र होनी शुरू हुई और 10 मिनट में सैकड़ों की संख्या में लोग एकत्र हो गए। जब भीड़ बढ़ी तो पहले उन्होंने निजी वाहनों में तोड़फोड़ शुरू की। इस समय तक पुलिस और भीड़ के बीच करीब 30 मीटर की दूरी थी। तोड़फोड़ के बाद भीड़ उग्र हो गई और इसके बाद ही आगजनी की गई।
जब पुलिस ने मोर्चा संभाला तो भीड़ पथराव और फायरिंग करती हुई उसी सड़क से लौटी जिससे वह जामा मस्जिद तक पहुंचे थे। अंदेशा है कि इसी भीड़ ने नखासा तिराहा और हिंदूपुरा खेड़ा में पुलिस पर पथराव किया। शहर के अन्य किसी इलाके में पुलिस से झड़प नहीं हुई। इस पूरे घटनाक्रम की भी पुलिस-प्रशासन द्वारा समीक्षा की जा रही है।
दो करोड़ से ज्यादा का नुकसान कर गए उपद्रवी
जामा मस्जिद पर वाहनों को फूंकने और तोड़फोड़ करने में उपद्रवियों ने बड़ा नुकसान किया है। अनुमान है कि उपद्रवियों ने करीब दो करोड़ का शहर में नुकसान किया है। पुलिस प्रशासन के अधिकारियों को क्षतिग्रस्त भी किया है। इसके अलावा निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया है। एसपी का कहना है कि संपत्ति के नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से ही कराई जाएगी। इसका पूरा आकलन किया जाना अभी बाकी है।
एडीजी ने संभाला मोर्चा, अधीनस्थों संग रख रहे संभल के हालात पर नजर
उधर, बरेली जोन के एडीजी रमित शर्मा ने संभल पहुंचकर मोर्चा संभाल लिया है। वह अधीनस्थ अधिकारियों संग संभल के हालात पर नजर बनाए हैं। उन्होंने अधिकारियों संग मीटिंग की और पूरे घटनाक्रम को जाना। इसके बाद उन्होंने उस क्षेत्र का निरीक्षण किया, जहां बवाल हुआ था। एडीजी रमित शर्मा मंगलवार को भी जिले के दौरे पर रहे। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से गोपनीय बैठक की। वहीं दूसरी ओर मंगलवार की शाम को उलेमा के साथ भी संवाद किया।