सदी के अंत तक समुद्र का स्तर एक मीटर बढ़ जाएगा, तटीय इलाकों के 1.4 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे: अध्ययन



नई दिल्ली, 21 नवंबर (आईएएनएस)। एक अध्ययन में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लाखों लोगों के लिए जोखिम बढ़ सकता है।

नेचर क्लाइमेट चेंज जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2100 तक समुद्र का स्तर एक मीटर तक बढ़ जाएगा। यह नॉरफ़ॉक, वर्जीनिया से लेकर मियामी, फ्लोरिडा तक दक्षिण-पूर्व अटलांटिक तट पर 14 मिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है।

इससे पता चलता है कि वर्ष 2100 तक, तटीय क्षेत्रों की 70 प्रतिशत आबादी उथले या बढ़ते भूजल के संपर्क में आ सकती है, जो दैनिक बाढ़ से भी अधिक गंभीर खतरा होगा।

इस खतरे के कारण संपत्ति की कीमतों में लगभग एक ट्रिलियन डॉलर की गिरावट आ सकती है, जिससे सड़कों, इमारतों, सेप्टिक सिस्टम और अन्य बुनियादी ढांचे के लिए नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

वर्जीनिया टेक के भूविज्ञान विभाग के मनोचेहर शिरज़ेई ने कहा कि इन संबंधित खतरों का प्रभाव पहले के अनुमान से कहीं अधिक होगा।

शिरजई ने कहा, “यदि मजबूत अनुकूलन उपाय नहीं किए गए, तो डूबती भूमि और समुद्र तट के नुकसान से बाढ़ का खतरा लाखों लोगों को विस्थापित कर सकता है और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा सकता है।”

अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के सहयोग से किए गए अध्ययन का निष्कर्ष है कि जलवायु परिवर्तन से तटीय खतरों के संयोजन, जिसमें समुद्र के स्तर में वृद्धि, बाढ़, समुद्र तट का कटाव, डूबती भूमि और बढ़ते समुद्र के स्तर शामिल हैं, के प्रभाव का आकलन किया गया है। 21वीं सदी के अंत तक ये सभी खतरे और भी बढ़ने की संभावना है।

शोधकर्ताओं ने यह भी नोट किया कि तटीय तूफान और तूफानी लहरें भूमि पर बाढ़ के खतरे को और बढ़ा देंगी। यदि समुद्र का स्तर एक मीटर बढ़ जाता है, तो क्षेत्र के 50 प्रतिशत लोग बाढ़ से प्रभावित होंगे, जिससे संपत्ति की कीमतों पर 770 अरब डॉलर का असर पड़ेगा।

इससे दक्षिणपूर्व अटलांटिक क्षेत्र में 80 प्रतिशत रेतीले समुद्र तट नष्ट हो सकते हैं, जो अपने द्वीपों और तटीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए प्रसिद्ध है।

इसके अतिरिक्त, दक्षिणपूर्वी अटलांटिक तट के कई क्षेत्र ज़मीन से घिरे हुए हैं, जिससे बढ़ते समुद्रों का प्रभाव और अधिक बढ़ गया है।

शिरज़ई ने कहा, “हमें इस बात पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है कि हम भविष्य के लिए कैसे योजना बनाते हैं और निर्माण करते हैं, खासकर तटीय क्षेत्रों में जो अधिक असुरक्षित हैं।” “अगर हमें लचीलापन रणनीतियों में जलवायु खतरों को पूरी तरह से पहचानना और ध्यान में रखना है, “, तो हम अपने समुदायों को समुद्र के स्तर में वृद्धि और चरम मौसम की घटनाओं के प्रभावों से बेहतर ढंग से बचा सकते हैं।

–आईएएनएस

एसके/एकेजे

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