सीरिया: बर्बाद नहीं हुआ 14 साल के किशोर का बलिदान, 13 साल चला संघर्ष, अब बशर अल-असद का पतन



मार्च 2011 में छात्र मुआविया स्यासनेह ने दारा शहर की सड़कों पर सरकार की तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाई थी। उसने शहर की एक दीवार पर कुछ शब्द लिखे थे, जिनमें सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ गहरा संदेश था।

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