राज्य विधानसभा को मंगलवार को सूचित किया गया कि ओडिशा ने पिछले 11 वर्षों में 857 हाथियों को खो दिया है, और जानवरों की अप्राकृतिक मौत का मुख्य कारण बिजली का झटका है।
वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री गणेश राम सिंगखुंटिया ने विधानसभा में एक प्रश्न के उत्तर में कहा कि राज्य में हाथियों की मौत के कुछ अन्य कारण बीमारी, दुर्घटनाएं, अवैध शिकार और बिजली का झटका हैं।
मंत्री द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2014-15 और 2024-25 (2 दिसंबर तक) के बीच 149 हाथियों की मौत बिजली की चपेट में आने से हुई, जबकि शिकारियों ने 30 हाथियों को मार डाला।
सबसे अधिक संख्या में हाथियों (305) की जान बीमारियों ने ले ली और 229 हाथियों की मौत का कारण प्राकृतिक कारणों को बताया गया है।
मंत्री ने कहा कि ट्रेनों की चपेट में आने से 29 हाथियों की मौत हो गयी. इसी तरह सात अन्य की मौत सड़क दुर्घटना में और दो की मौत जहर से हुई।
वन एवं पर्यावरण विभाग 90 जंबो की मौत का कोई कारण पता नहीं लगा सका है. उन्होंने कहा, इसके अलावा आपसी लड़ाई के कारण 16 हाथियों की मौत हो गई।
2018-19 में 93 हाथियों की मौत हो गई, जो इस अवधि के दौरान हाथियों की मौत के मामले में सबसे खराब साल है। 2022-23 के दौरान ओडिशा में 92 हाथियों की मौत की सूचना मिली, जबकि 2014-15 में 54 हाथियों की मौत हुई, जो इन 11 वर्षों में सबसे कम है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान राज्य में जहां 66 हाथियों की मौत हुई, वहीं चालू वित्तीय वर्ष में 2 दिसंबर तक यह आंकड़ा 67 है.
पिछले महीने हुई नवीनतम हाथी जनगणना के अनुसार, ओडिशा के विभिन्न जंगलों में 2103 हाथी पाए गए।
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