गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट: उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं के घायलों को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए योगी सरकार बड़ा कदम उठा रही है। राज्य सड़क सुरक्षा (Golden hour treatment) परिषद ने प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के ट्रामा सेंटरों को उन्नत बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत कानपुर, प्रयागराज, मेरठ और गोरखपुर के मेडिकल कॉलेजों के ट्रामा सेंटरों को लेवल-2 से लेवल-1 में अपग्रेड किया जा रहा है। राजधानी लखनऊ के केजीएमयू ट्रामा सेंटर में 500 अतिरिक्त बेड जोड़े जा रहे हैं, जिससे बेड की संख्या 960 हो जाएगी। इसके अलावा, 108 एंबुलेंस सेवा के रेस्पांस टाइम को 15 मिनट से घटाकर 8:23 मिनट कर दिया गया है ताकि घायल व्यक्ति को गोल्डन ऑवर में उपचार मिल सके। एनईएलएस (नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट) प्रोग्राम के तहत डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को प्राथमिक चिकित्सा तेजी से मिल सके।
ट्रामा सेंटरों को लेवल-1 में अपग्रेड करने की योजना
उत्तर प्रदेश सरकार सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को बेहतर चिकित्सा सेवाएं देने के लिए सभी मेडिकल कॉलेजों के ट्रामा सेंटरों और इमरजेंसी वार्डों को आधुनिक बना रही है। कानपुर, प्रयागराज, मेरठ और गोरखपुर के मेडिकल कॉलेजों में लेवल-2 ट्रामा सेंटरों को लेवल-1 में बदला जा रहा है। लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में भी ट्रामा सेंटर का विस्तार किया जा रहा है। इसके लिए बजट में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा, ट्रामा सेंटरों में सीटी स्कैन, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड की सुविधा बढ़ाई जा रही है। हर मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में अस्थि रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन और ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर) की नियुक्ति की गई है। इससे दुर्घटना के तुरंत बाद घायलों को रेफर करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और स्थानीय स्तर पर ही बेहतर इलाज मिल सकेगा।
एनईएलएस प्रोग्राम के तहत डॉक्टरों को विशेष प्रशिक्षण
रोड एक्सीडेंट के मामलों में त्वरित और (Golden hour treatment) प्रभावी चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए एनईएलएस प्रोग्राम को तेजी से लागू किया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत बीएचयू, वाराणसी और गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कौशल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। इसके अलावा, कानपुर, आगरा, मेरठ, झांसी और प्रयागराज के मेडिकल कॉलेजों में भी ऐसे केंद्र बनाए जा रहे हैं।
डब्ल्यूएचओ और एम्स दिल्ली के सहयोग से अब तक 300 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को इमरजेंसी केयर का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। वहीं, 2916 आपदा मित्रों को फर्स्ट रिस्पांडर के रूप में प्रशिक्षित किया गया है, जो सड़क हादसे में घायलों को तत्काल प्राथमिक उपचार उपलब्ध कराएंगे।
108 एंबुलेंस सेवा और ड्राइवरों की निगरानी बढ़ी
घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा का रेस्पांस टाइम घटाकर 8:23 मिनट किया गया है। इसके लिए न केवल एंबुलेंस की संख्या बढ़ाई जा रही है, बल्कि उनकी तैनाती और कॉल रिस्पांस सिस्टम को भी तेज किया जा रहा है।
इसके अलावा, राज्य सड़क सुरक्षा परिषद ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के ड्राइवरों की फिटनेस और स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दी है। अब तक 18,230 ड्राइवरों की जांच की गई, जिसमें से 1721 ड्राइवर अनफिट पाए गए। ऐसे ड्राइवरों को ड्यूटी से हटा दिया गया है, जब तक वे फिटनेस मानकों को पूरा नहीं कर लेते।
योगी सरकार की यह पहल न केवल सड़क (Golden hour treatment) दुर्घटनाओं में घायलों को समय पर इलाज दिलाने में मदद करेगी, बल्कि राज्य की सड़क सुरक्षा व्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।