भागलपुर जिले के एक साधारण व्यक्ति चमकलाल यादव ने अपनी मौत के बाद भी असाधारण कार्य करके समाज में मानवता की नई मिसाल पेश की। महाभारत काल में अग प्रदेश (भागलपुर) के राजा कर्ण ने अपना कवच कुंडल देवराज इंद्र को दान कर जिस दानशीलता का उदाहरण प्रस्तुत किया था। आधुनिक काल में इसी धरा के लाल चमकलाल ने यही परंपरा निभाते हुए अपने शरीर के छह अंगदान कर दानवीर कर्ण की कथा चरितार्थ किया है।
सड़क हादसे में जान गंवाने के बाद, उनके परिवार के साहसिक और मानवीय फैसले ने गुजरात के छह जरूरतमंद लोगों को नया जीवन दिया है। चमकलाल का अंगदान न केवल पीड़ित परिवारों के लिए आशा की किरण बनी है, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्त्रोत भी है।
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कहलगांव प्रखंड स्थित रमजानीपुर पंचायत निवासी चमकलाल यादव गुजरात के सूरत में एक निजी इंजीनियरिंग कंपनी में क्रेन ऑपरेटर के रूप में कार्यरत थे। बीते 28 मार्च को काम के दौरान हुए एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें तुरंत सूरत के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उनकी हालत नाजुक बनी रही। एक अप्रैल को चिकित्सकों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।
इस मुश्किल घड़ी में सूरत स्थित अंगदान को बढ़ावा देने वाली संस्था ‘डोनेट लाइफ’ के प्रतिनिधि चमकलाल के शोक संतप्त परिवार से मिले और उन्हें अंगदान के महत्व के बारे में बताया। परिवार ने दुख की इस घड़ी में भी मानवता को सर्वोपरि रखते हुए अंगदान के लिए सहमति दे दी।
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इसके बाद फौरन कार्रवाई करते हुए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और चमकलाल के पार्थिव शरीर को दो घंटे के भीतर सूरत से अहमदाबाद पहुंचाया गया। वहां डॉक्टरों की टीम ने उनके हृदय, लीवर, दोनों किडनी और आंखों को सफलतापूर्वक निकालकर जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया। इस दान से छह अलग-अलग व्यक्तियों को नया जीवन और रोशनी मिली है।
परिजन ने क्या बताया
चमकलाल के भतीजे राजेश यादव ने बताया कि उनके चाचा मिलनसार और दूसरों की मदद करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने कहा कि जब संस्था के लोगों ने अंगदान का प्रस्ताव रखा, तो परिवार ने आपस में विचार-विमर्श किया। और यह महसूस किया कि यदि उनके शरीर के अंगों से किसी और की जिंदगी बच सकती है, तो इससे बड़ा कोई नेक काम नहीं हो सकता। इस फैसले पर उन्हें गर्व है।
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चमकलाल की पत्नी ललिता देवी ने बताया कि उनके पति आठ अप्रैल को घर आने वाले थे, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने कहा कि उन्हें संतोष है कि उनके पति के अंगों से कई लोगों को नया जीवन मिला है और सभी को अंगदान के लिए आगे आना चाहिए। दिवंगत चमक लाल के बेटे नीतीश कुमार (स्नातक छात्र), संजीव (10वीं कक्षा) और जयकांत (9वीं कक्षा) ने भी अपने पिता के इस असाधारण कार्य पर गर्व महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि उनके पिता हमेशा से दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहते थे और उनका यह अंतिम अंगदान भी उसी नेक भावना को दर्शाता है।
पटना के दधीचि देहदान समिति की महती भूमिका
पटना स्थित दधीचि देह दान समिति ने चमकलाल के पार्थिव शरीर को अहमदाबाद से भागलपुर वापस लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके शरीर को विमान से पटना और फिर एम्बुलेंस से उनके पैतृक गांव पहुंचाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। चमकलाल के नियोक्ता, उन्नत इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड, सूरत ने भी उनके परिवार को दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की है। इसके अतिरिक्त, ‘डोनेट लाइफ’ संस्था ने उनके तीनों बेटों की शिक्षा का खर्च उठाने का जिम्मा लिया है।
चमकलाल यादव का यह निःस्वार्थ कृत्य मृत्यु के बाद भी जीवनदान देने की शक्ति को दर्शाता है। उनका यह अंगदान न केवल छह व्यक्तियों के लिए अनमोल उपहार साबित हुआ है, बल्कि यह पूरे समाज को मानवीयता और करुणा के मूल्यों को अपनाने के लिए प्रेरित करता रहेगा। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि “एक व्यक्ति बहुत कुछ बदल सकता है।”