जल संकट पर हाईकोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड और एमसीडी आयुक्त को फटकार लगाई है। अदालत ने निगम और जलबोर्ड को 10 दिनों के अंदर अवैध बोरवेल का सर्वे कर सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि अगर इस तरह की जलनिकासी को नहीं रोका गया तो दिल्ली को दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। वहां कुछ साल पहले कई महीनों तक पानी की भारी कमी रही थी।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने 9 अप्रैल को रोशनारा इलाके के गोयनका रोड पर हो रहे निर्माण को लेकर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने बताया कि एक आरटीआई जवाब में एमसीडी ने छह बोरवेल की जानकारी दी, जबकि दरियागंज के एसडीएम ने केवल तीन बोरवेल की बात कही, जिन्हें सील कर दिया गया है।
कोर्ट ने इस मामले में एमसीडी, दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) और स्थानीय पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को संयुक्त सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने कहा कि अवैध गतिविधियों की वजह से पानी का स्तर लगातार कम हो रहा है। आदेश दिया जाता है कि एमसीडी आयुक्त, डीजेबी सीईओ और संबंधित पुलिस स्टेशन के एसएचओ द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारियों की टीम इस इमारत का सर्वेक्षण करे।
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कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर सर्वेक्षण के दौरान कोई अवैध बोरवेल कार्यशील पाया गया, तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी। अगर पहले से कार्यरत अवैध बोरवेल का सबूत मिलता है तो उसकी संख्या और संचालन की अवधि को भी रिपोर्ट में शामिल करना होगा। इस मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई को होगी।
बोरवेल से काफी नुकसान हो रहा
पीठ ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्षों के आधार पर वह जल स्तर को नुकसान पहुंचाने के लिए भवन मालिकों पर पर्यावरण मुआवजा लगाने पर विचार करेगी। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दावा किया है कि बिल्डिंग मालिक प्लॉट पर करीब 100 फ्लैट बना रहा है। साथ ही, बोरवेल से इलाके के निवासियों को काफी नुकसान हो रहा है और इससे पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच सकता है।