जैसलमेर में रॉयल्टी को लेकर चल रहे विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। BJP विधायक छोटू सिंह भाटी के बेटे भवानी सिंह भाटी पर रॉयल्टी ठेकेदार से जुड़े लोगों ने हमला कर दिया, जिससे उन्हें गंभीर चोटें आई हैं। इस दौरान उनकी फॉर्च्यूनर गाड़ी में तोड़फोड़ की गई और रॉयल्टी नाके पर आग भी लगा दी गई। घटना के बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 24 लोगों को हिरासत में लिया है और इलाके में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
यह घटना गुरुवार सुबह की है, जब सदर इलाके के सम रोड स्थित काहला फांटा पर रॉयल्टी ठेकेदार के लोगों ने पत्थरों से भरे ट्रकों को रोक लिया और रॉयल्टी की मांग करने लगे। ट्रक चालकों ने इसका विरोध किया और मामले की जानकारी विधायक के छोटे भाई नखत सिंह को दी। सूचना मिलते ही नखत सिंह, विधायक के बेटे भवानी सिंह और उनके सहयोगी मौके पर पहुंच गए। रॉयल्टी को लेकर पहले से ही ठेकेदार यूनियन और रॉयल्टी ठेकेदारों के बीच तनातनी चल रही थी, जो इस बार हिंसा में बदल गई। बातचीत के दौरान दोनों पक्षों में बहस इतनी बढ़ गई कि मारपीट शुरू हो गई।
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लाठी-तलवारों से हुआ हमला, नाके पर लगाई गई आग
विधायक के बेटे भवानी सिंह भाटी ने बताया कि जब वे लोग बातचीत के लिए पहुंचे, तो रॉयल्टी ठेकेदार पक्ष के लोगों ने अचानक झगड़ा शुरू कर दिया। उन्होंने लाठी और तलवारों से हमला कर दिया, जिससे भवानी सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद हमलावरों ने उनकी फॉर्च्यूनर गाड़ी को भी निशाना बनाया और उसमें जमकर तोड़फोड़ की। इतना ही नहीं, झड़प के दौरान रॉयल्टी नाके पर आग भी लगा दी गई, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। घटना के बाद भवानी सिंह और अन्य घायलों को जैसलमेर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज चल रहा है।
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पहले से चल रहा था विवाद, प्रशासन को दिया जा चुका था ज्ञापन
रॉयल्टी को लेकर ठेकेदार यूनियन और रॉयल्टी ठेकेदारों के बीच यह विवाद नया नहीं है। पिछले कई दिनों से दोनों पक्षों में टकराव की स्थिति बनी हुई थी। एक अप्रैल को जैसलमेर ठेकेदार एसोसिएशन ने रॉयल्टी ठेकेदारों के खिलाफ जिला कलेक्टर प्रताप सिंह को ज्ञापन भी सौंपा था। बावजूद इसके विवाद थमा नहीं और आखिरकार गुरुवार को यह हिंसक रूप में सामने आया।
पुलिस की कार्रवाई और स्थिति पर नजर
घटना के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और जैसलमेर के एसपी सुधीर चौधरी ने बताया कि इस मामले में अब तक 24 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। फिलहाल हालात नियंत्रण में हैं और इलाके में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। हालांकि, पुलिस इस मामले में कोई आधिकारिक बयान देने से बच रही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन इस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करेगा, या यह राजनीतिक प्रभाव में दब जाएगा? इस घटना ने जैसलमेर में कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। व्यापारिक हितों के टकराव से शुरू हुआ यह विवाद अब हिंसा का रूप ले चुका है, जिससे आम जनता भी प्रभावित हो रही है। अब देखने वाली बात होगी कि प्रशासन इस विवाद को सुलझाने के लिए क्या कदम उठाता है।