Mahakumbh 2025 : जहां चाह वहां राह कैसे बिहार के युवकों ने ढ


Bihar youth boat journey to Mahakumbh बिहार के सात युवाओं ने महाकुंभ जाने के लिए ऐसा रास्ता अपनाया, जो शायद किसी ने नहीं सोचा होगा। जब सड़कें जाम थीं और ट्रेनों में पैर रखने की जगह नहीं थी, तब इन दोस्तों ने गंगा नदी के रास्ते प्रयागराज जाने का फैसला किया। नाव पर मोटर लगाई और 550 किलोमीटर की लंबी यात्रा पर निकल पड़े। साढ़े तीन दिन, यानी पूरे 84 घंटे लग गए, लेकिन आखिरकार बिना किसी भीड़-भाड़ के आराम से कुंभ पहुंच गए।

भीड़ से बचने के लिए चुना नया रास्ता

8 से 9 फरवरी के बीच प्रयागराज जाने वाले सारे रास्तों पर भीषण जाम था। ट्रेनें खचाखच भरी थीं, और गाड़ियां रेंग रही थीं। ऐसे में बक्सर जिले के कम्हरिया गांव के सात दोस्तों ने तय किया कि वे सड़क की बजाय पानी के रास्ते जाएंगे। उन्होंने दो मोटर वाली नाव तैयार की, ताकि अगर एक मोटर खराब हो जाए तो दूसरी काम आ सके।

खुद चलाते रहे नाव, दिन-रात सफर जारी

इस सफर में सुखदेव चौधरी, आडू चौधरी, सुमन चौधरी और मुन्नू चौधरी शामिल थे। उन्होंने बताया कि करीब 5-6 किलोमीटर चलने के बाद मोटर गर्म हो जाती थी, इसलिए बीच-बीच में वे खुद ही नाव चलाते थे। दिन हो या रात, बारी-बारी से नाव चलाकर अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते रहे।

खर्चा भी कम, सफर भी आरामदायक

पूरे सफर में इन युवाओं का कुल 20,000 रुपये खर्च हुआ। इसमें पेट्रोल, राशन-पानी, और प्लास्टिक के कैन जैसी जरूरत की चीजें शामिल थीं। सड़क या ट्रेन की तुलना में यह सफर सस्ता भी पड़ा और भीड़ से बचने का बेहतरीन तरीका भी साबित हुआ।

महाकुंभ में डुबकी लगाकर वापस लौटे

13 फरवरी की सुबह इनका सफर पूरा हुआ, और संगम में पुण्य की डुबकी लगाई। मजेदार बात यह रही कि ये युवा वापसी में भी नाव से ही लौटे और 16 फरवरी की रात तक अपने घर सुरक्षित पहुंच गए। सोशल मीडिया पर अब इनकी हिम्मत और जज्बे की खूब चर्चा हो रही है।

एक सीख भी दे गए ये युवा

इन लड़कों ने साबित कर दिया कि जज्बा हो तो रास्ता खुद बन जाता है। भीड़-भाड़ से बचने का इनका तरीका अनोखा तो था, लेकिन रोमांच से भरा हुआ भी। हालांकि, यह सफर हर किसी के लिए नहीं है, क्योंकि नाव चलाने और तैरने का हुनर होना जरूरी है। लेकिन इनकी कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा बन सकती है, जो मुश्किलों से हार मानने की बजाय नए रास्ते तलाशते हैं।

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