सड़क सुरक्षा मास्टर प्लान: देश में बढ़ते सड़क हादसों को रोकने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बड़ा मास्टर प्लान तैयार किया है। उन्होंने एक टीवी शो के दौरान बताया कि हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं में अपनी जान गंवा देते हैं, जिसमें बच्चों की संख्या भी काफी है। ऐसे में अब समय आ गया है कि सख्त और असरदार कदम उठाए जाएं। आइए जानते हैं उनके इस प्लान की बड़ी बातें।
अब हर टू-व्हीलर के साथ मिलेंगे दो हेलमेट
गडकरी ने कहा कि अब जो भी नया टू-व्हीलर खरीदेगा, उसे कंपनी की तरफ से दो ISI मार्क वाले अच्छे हेलमेट भी दिए जाएंगे। इससे गाड़ी चलाने वाले और पीछे बैठने वाले दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी। उन्होंने बताया कि देश में सड़क सुरक्षा को लेकर काफी काम हो चुका है, लेकिन अभी भी पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है। गडकरी ने चिंता जताई कि हर साल स्कूलों के सामने करीब 10 हजार बच्चे सड़क हादसों में मारे जाते हैं, जो बेहद दुखद है। इसके अलावा, पूरे देश में हर साल करीब 1.80 लाख लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवाते हैं। इसीलिए सरकार ब्लैक स्पॉट्स की पहचान कर रही है और सड़क सुरक्षा ऑडिट भी करवा रही है।
राहवीर योजना से लोगों की जान बचेगी
गडकरी ने बताया कि जल्द ही ‘राहवीर योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत अगर कोई व्यक्ति सड़क हादसे के शिकार को समय पर अस्पताल पहुंचाता है और उसकी जान बच जाती है, तो उसे 25 हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा। इसके अलावा घायल व्यक्ति को इलाज के लिए अधिकतम 7 दिन तक या 1.5 लाख रुपये तक की आर्थिक मदद भी मिलेगी। गडकरी का मानना है कि अगर लोग हादसे में घायल लोगों को समय पर अस्पताल पहुंचाएं तो हर साल 50 हजार से ज्यादा जानें बचाई जा सकती हैं।
सब कुछ होगा प्रीकास्ट
गडकरी ने बताया कि अब सड़कों का निर्माण साइट पर नहीं बल्कि फैक्टरी में किया जाएगा। इस प्रक्रिया को ‘मेंडेटरी प्रीकास्ट’ कहा जा रहा है। इससे सड़कें ज्यादा टिकाऊ होंगी और समय भी बचेगा। सड़क के बीच जो डिवाइडर होते हैं, लोग अक्सर उन्हें कूदकर पार करते हैं जिससे हादसे होते हैं। अब इन डिवाइडरों की ऊंचाई 3 फीट की जाएगी और उनके दोनों तरफ एक-एक मीटर की पट्टी बनाई जाएगी जिसमें काली मिट्टी डालकर पौधे लगाए जाएंगे। इससे लोग इन्हें पार नहीं कर पाएंगे और हादसों में कमी आएगी।
मलेशिया से आई नई तकनीक, खर्च भी होगा कम
गडकरी ने बताया कि सड़क और मेट्रो जैसे प्रोजेक्ट्स में अब मलेशिया की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होगा। इससे ना सिर्फ लागत घटेगी बल्कि काम तेजी से होगा। जैसे पहले पिलर के बीच की दूरी 30 मीटर होती थी, अब इसे बढ़ाकर 120 मीटर कर दिया गया है। इससे तीन पिलर का खर्च बच जाता है। ऊपर की बीम भी अब स्टील की बजाय स्टील फाइबर से कास्ट की जाएगी, जिससे प्रदूषण भी कम होगा।