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‘कारण बताओ नोटिस’ मिलने से पहले ही वायरल – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
राजस्थान की सियासत में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को जारी कारण बताओ नोटिस को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह नोटिस उन्हें आधिकारिक रूप से मिलने से पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे पार्टी में अंदरूनी राजनीति और गुटबाजी के आरोप लगने लगे हैं।
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कैसे हुआ नोटिस लीक?
सूत्रों के मुताबिक, 10 फरवरी 2025 को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बी.एल. संतोष ने फोन पर डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को नोटिस जारी किए जाने की जानकारी दी थी। साथ ही उन्हें इस विषय पर सार्वजनिक रूप से कोई भी बयान देने से मना किया गया था। इसके बाद, 11 फरवरी को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की ओर से उन्हें आधिकारिक नोटिस भेजा गया, लेकिन उसपर उनके हस्ताक्षर नहीं थे। जब डॉ. मीणा ने इस पर आपत्ति जताते हुए प्रदेश अध्यक्ष से संपर्क किया, तो उन्हें आश्वासन दिया गया कि साइन किया हुआ नोटिस दोबारा भेजा जाएगा। हालांकि, इससे पहले ही 10 फरवरी की शाम को साइन किया हुआ नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस मामले ने पार्टी के अनुशासन और गोपनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राष्ट्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बिना मीडिया तक कैसे पहुंची जानकारी?
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने इस नोटिस की सूचना सार्वजनिक न करने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद अनुशासन समिति के अध्यक्ष ने प्रेस को इस नोटिस और इसके कारणों की विस्तृत जानकारी दी। 12 फरवरी को यह खबर प्रमुख अखबारों की सुर्खियां बन गई, जिससे सवाल उठने लगे कि जब शीर्ष नेतृत्व ने इस मामले को गोपनीय रखने का फैसला किया था, तो यह जानकारी लीक कैसे हुई?
राजनीतिक साजिश या अंदरूनी कलह?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को नोटिस मिलने से पहले ही उसका वायरल होना इस बात का संकेत है कि पार्टी के अंदर कुछ लोग जानबूझकर इसे सार्वजनिक कर रहे हैं। इससे न केवल पार्टी की छवि प्रभावित हो रही है, बल्कि राजस्थान भाजपा के अंदर गुटबाजी की भी पुष्टि हो रही है।
भविष्य की राजनीति पर असर
इस घटनाक्रम के बाद राजस्थान भाजपा में सियासी हलचल तेज हो गई है। पार्टी नेतृत्व इस पूरे मामले की जांच कर सकता है कि आखिरकार नोटिस लीक कैसे हुआ और इसके पीछे कौन लोग थे। वहीं, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा के अगले कदम पर भी सभी की नजरें टिकी हैं। इस पूरे मामले ने भाजपा की अंदरूनी राजनीति को उजागर कर दिया है और यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस पर क्या कदम उठाता है।