केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर ट्रैफिक की समस्या को लेकर सीधा और बिना लाग-लपेट के बयान दिया है। इस बार उन्होंने दिल्ली-एनसीआर की अव्यवस्थित ट्रैफिक व्यवस्था को “महा भयंकर” करार देते हुए साफ शब्दों में कहा कि हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। हालांकि, राजधानी की सड़कों पर जाम की तीखी आलोचना के साथ ही उन्होंने बदलाव के लिए तकनीक आधारित रोडमैप भी पेश किया।
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Traffic Jam
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धौला कुआं की जाम ने छीने जिंदगी के 4 साल
गडकरी ने खुद के अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे धौला कुआं के ट्रैफिक ने उनकी जिंदगी के 4 साल खा लिए। अपने खुद के यातायात के दुख को याद करते हुए गडकरी ने कहा, “मैं हर दिन धौला कुआं में 1.5 घंटे तक ट्रैफिक में फंसा रहता था। मेरे जीवन के चार साल सिर्फ धौला कुआं को बेहतर बनाने की कोशिश में बर्बाद हो गए।”
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Delhi Traffic
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बिना प्लानिंग के बंगलों और गाड़ियों की भरमार
गडकरी ने दिल्ली में तेजी से बढ़ती कारों की संख्या और बिना प्लानिंग के हो रहे शहरी विकास पर भी सवाल उठाया। एआईएमए के 10वें राष्ट्रीय नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आप दिल्ली में बड़े-बड़े बंगले बना लेते हैं, लेकिन पार्किंग नहीं बनाते। क्या हमने सड़कें इसलिए बनाईं कि आप उन पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर सकें?” गडकरी ने चुटकी लेते हुए कहा, “दिल्ली में चारों लोगों के एक परिवार के पास आठ गाड़ियां होंगी और ये संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।”
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दिल्ली में ट्रैफिक जाम – फोटो: पीटीआई
सिर्फ फ्लाईओवर से नहीं सुलझेगा ट्रैफिक
गडकरी ने ये भी साफ किया कि नई सड़कें और फ्लाईओवर बनाना ट्रैफिक का स्थायी समाधान नहीं है। उन्होंने मुंबई का उदाहरण देते हुए कहा, “मैंने मुंबई में ढेर सारे फ्लाईओवर बनाए, लेकिन जब तक वो बनकर तैयार हुए, तब तक जनसंख्या इतनी बढ़ चुकी थी कि सारा इंफ्रास्ट्रक्चर छोटा पड़ गया।”
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Delhi Traffic
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गडकरी का ‘फ्लैश बस’ वाला समाधान
हालांकि आलोचना के साथ-साथ गडकरी ने समाधान भी पेश किया। उन्होंने बताया कि नागपुर में एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत ‘फ्लैश बस’ शुरू की जा रही है। यह एक हाईटेक इलेक्ट्रिक बस है जो सिर्फ आधे मिनट की चार्जिंग में 40 किलोमीटर तक चल सकती है। इसमें 135 लग्जरी सीटें, टीवी और यहां तक कि एयर होस्टेस जैसी सुविधाएं होंगी। यह तकनीक सीमेन्स और हितैची की मदद से विकसित की जा रही है।
इस प्रोजेक्ट का पहला टेंडर अप्रैल के आखिर तक जारी किया जाएगा और अगर यह सफल रहा, तो इसे पूरे देश में लागू किया जा सकता है। इन बसों के किराए भी डीज़ल बसों से 30% सस्ते होंगे।
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