UP के इस शहर में बसी है छोटी अयोध्या, यहां विराजमान


कानपुर। पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ भक्त रामनवमी का पर्व मना रहे हैं। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया गया है तो कुछ ऐसा ही नजारा कानपुर में स्थित छोटी अयोध्या का भी है। रामनवमी पर निकलने वाली भव्य शोभायात्रा को लेकर भव्य तैयारियां की गई हैं। खुद पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार रामलला मंदिर पहुंचे और भगवान रामलला के दर्शन करने के बाद नगाड़ा और डमूरू बजाया। फिर मंदिर कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बैठक की।

रामनवमी पर निकलती है भव्य शोभायात्रा

कानपुर के रावतपुर गांव में भगवान श्रीरामलला के करीब 150 वर्ष प्राचीन मंदिर है। मंदिर में रामलला अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। मंदिर में रामलला की मुर्ति 4.5 इंच की है, जो दुनिया की सबसे छोटी प्रतिमा है। रघुराई के अनन्य भक्त हनुमान पूरे परिवार के साथ इस पूरे क्षेत्र की रखवाली करते हैं। रामनवमी पर्व पर मंदिर परिसर पर मेला लगता है और आसपास के जनपदों के लाखों भक्त रामलला के दर्शन को पहुंचते हैं। रामलला मंदिर से ऐतिहासिक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

अब जानें मंदिर का इतिहास

रामलला मंदिर की देख-रेख के लिए एक समिति बनाई गई है। जिसका नाम श्री ठाकुर रामलला जी महाराज विराजमान है। समिति के मंत्री राहुल चंदेल ने बताया कि रावतपुर के राजा रावत रणधीर सिंह चंदेल थे। उन्होंने अपने बेटे शिव सिंह की शादी 1870 में मध्य प्रदेश के सुहावल कोठी में बघेल परिवार में की थी। बारात वापसी के दौरान शिव सिंह ने पत्नी रौताइन बघेलिन से मिलने की इच्छा जताई। लेकिन रानी ने इनकार कर दिया था। इस पर शिव सिंह नाराज होकर चले गए। 18 दिसंबर, 1872 को शिव सिंह की मृत्यु हो गई।

रामलला मंदिर का निर्माण शुरू कराया

पति की मौत के बाद रानी अपने मायके से रामलला की 5 इंच की मूर्ति लेकर आई थीं। जिसमें भगवान बचपन के रूप में थे। रानी की कोई संतान नहीं थी। इसके चलते 1880 में उन्होंने रामलला मंदिर का निर्माण शुरू कराया। 1895 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर उनको विराजमान कराया गया। रानी न रामलला के नाम पर पूरी संपत्ति कर दी थी। मंदिर के अंदर सुंदर नक्काशियां की गई हैं। पुरानी कलाकृतियों को संजोकर रखा गया है। मंदिर में 2 नायाब सीढ़ियां हैं, जो दुश्मनों को धोखा देने के लिए तैयार की गई थीं। सही सीढ़ियां चढ़ने पर ही व्यक्ति मंदिर के ऊपरी हिस्से में जा पाता है, अन्यथा सीधे मंदिर के बाहर पहुंच जाएगा।

यहां रामलला परिवार समेत विराजमान

रामलला के भोग के लिए कुएं का पानी ही प्रयोग में लाया जाता है। यहां ऐसा कुआं बनाया गया है, जिससे दूसरे तल पर खड़ा व्यक्ति भी कुएं से आराम से पानी भर सकता है। आज भी इसे पूरी तरह सहेज कर रखा गया है। मंदिर में रामलला की सुरक्षा के लिए भगवान हनुमान भी विराजमान हैं। रामलला मंदिर के पुजारी आचार्य सुशील मिश्र के मुताबिक, यहां रामलला परिवार समेत विराजमान हैं। यहां रामलला की मूर्ति 5 इंच की है। रामलला यहां बचपन रूप में विराजमान हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम का स्वरूप 5 से 6 वर्ष की आयु का है। यहां श्रीराम बड़े और छोटे सरकार के रूप में जाने जाते हैं। भगवान राम की बड़ी मूर्तियों को बड़े सरकार और छोटी मूर्ति को छोटे सरकार कहा जाता है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा

बजरंग दल के प्रांत सुरक्षा प्रमुख आशीष त्रिपाठी ने बताया, यह मंदिर, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद आदि प्रमुख संगठनों के पदाधिकारी यहीं बैठकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते थे। आरएसएस प्रमुख और विहिप के केंद्रीय नेतृत्व से जो भी संदेश आता, यहां चर्चा होती और फिर कानपुर और आसपास के शहरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता। मंदिर आंदोलन के प्रमुख आचार्य गिरिराज किशोर, महंत नृत्यगोपाल दास, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल समेत तमाम बड़े नेता और संत यहां आए थे और राम भक्तों को संबोधित करते थे।

श्रीराम नवमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी

रामलला मंदिर से पहली बार वर्ष 1988 में श्रीराम नवमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी। हर घर पर धर्मध्वजा फहराई गई थी। यह परंपरा आज भी कायम है। शोभायात्रा श्री रामलला मंदिर से शुरू होकर ट्रांसफार्मर तिराहा, आनंद नगर, बजरंग तिराहा, गोपाल टावर, एम ब्लाक चौराहा, श्री रामलला रोड होते हुए मंदिर पहुंचती है। इसमें पूरे शहर की शोभायात्राएं विभिन्न मार्गों से होते हुए सम्मलित होती हैं। रामलला मंदिर से शुरू हुई इस यात्रा के बाद तो कानपुर देहात, फतेहपुर के साथ ही बुंदेलखंड के अन्य जिलों में भी इसका आयोजन किया जाता है।

पुलिस कमिश्नर ने मंदिर का डमरू बजाया और

कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार गुरुवार रात को रामलला मंदिर रावतपुर में रामनवमी को लेकर चल रही तैयारियों की सुरक्षा का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने मंदिर का डमरू बजाया और नगाड़ा बजाकर देखा। इसके बाद पुलिस अफसरों व मंदिर के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। क्यों कि रामलला मंदिर से रामनवमी को भव्य और विशाल जुलूस निकलता है। पुलिस कमिश्नर ने शांति और शौहार्द बनाए रखने को अपील की। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि रामनवमी पर रावतपुर के रामलला मंदिर में भव्य आयोजन होते हैं। इसके साथ ही मंदिर से विशाल जुलूस निकलता है। जिसकी पूरी तैयारियां कर ली गई हैं।

रूपरेखा को समझा और सुरक्षा व्यवस्था का ब्लूप्रिंट देखा

सीपी ने रामनवमी पर कार्यक्रम से लेकर जुलूस तक के रूपरेखा को समझा और सुरक्षा व्यवस्था का ब्लूप्रिंट देखा। एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडे ने एक-एक जानकारी दी। मंदिर प्रबंधन के लोगों ने भी हर बार आने वाली समस्याओं व अन्य मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में स्थानीय लोगों से फीडबैक लिया गया एवं रामनवमी के अवसर पर शांति एवं सौहार्द बनाए रखने हेतु सभी से सहयोग की अपील की गई। पुलिस कमिश्नर ने अधिकारियों को सतर्कता बरतने, संवेदनशील स्थानों पर विशेष निगरानी रखने तथा पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

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UP के इस शहर में बसी है छोटी अयोध्या, यहां विराजमान


कानपुर। पूरे देश में हर्षोउल्लास के साथ भक्त रामनवमी का पर्व मना रहे हैं। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया गया है तो कुछ ऐसा ही नजारा कानपुर में स्थित छोटी अयोध्या का भी है। रामनवमी पर निकलने वाली भव्य शोभायात्रा को लेकर भव्य तैयारियां की गई हैं। खुद पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार रामलला मंदिर पहुंचे और भगवान रामलला के दर्शन करने के बाद नगाड़ा और डमूरू बजाया। फिर मंदिर कमेटी से जुड़े पदाधिकारियों के साथ बैठक की।

रामनवमी पर निकलती है भव्य शोभायात्रा

कानपुर के रावतपुर गांव में भगवान श्रीरामलला के करीब 150 वर्ष प्राचीन मंदिर है। मंदिर में रामलला अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान हैं। मंदिर में रामलला की मुर्ति 4.5 इंच की है, जो दुनिया की सबसे छोटी प्रतिमा है। रघुराई के अनन्य भक्त हनुमान पूरे परिवार के साथ इस पूरे क्षेत्र की रखवाली करते हैं। रामनवमी पर्व पर मंदिर परिसर पर मेला लगता है और आसपास के जनपदों के लाखों भक्त रामलला के दर्शन को पहुंचते हैं। रामलला मंदिर से ऐतिहासिक भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है।

अब जानें मंदिर का इतिहास

रामलला मंदिर की देख-रेख के लिए एक समिति बनाई गई है। जिसका नाम श्री ठाकुर रामलला जी महाराज विराजमान है। समिति के मंत्री राहुल चंदेल ने बताया कि रावतपुर के राजा रावत रणधीर सिंह चंदेल थे। उन्होंने अपने बेटे शिव सिंह की शादी 1870 में मध्य प्रदेश के सुहावल कोठी में बघेल परिवार में की थी। बारात वापसी के दौरान शिव सिंह ने पत्नी रौताइन बघेलिन से मिलने की इच्छा जताई। लेकिन रानी ने इनकार कर दिया था। इस पर शिव सिंह नाराज होकर चले गए। 18 दिसंबर, 1872 को शिव सिंह की मृत्यु हो गई।

रामलला मंदिर का निर्माण शुरू कराया

पति की मौत के बाद रानी अपने मायके से रामलला की 5 इंच की मूर्ति लेकर आई थीं। जिसमें भगवान बचपन के रूप में थे। रानी की कोई संतान नहीं थी। इसके चलते 1880 में उन्होंने रामलला मंदिर का निर्माण शुरू कराया। 1895 में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कर उनको विराजमान कराया गया। रानी न रामलला के नाम पर पूरी संपत्ति कर दी थी। मंदिर के अंदर सुंदर नक्काशियां की गई हैं। पुरानी कलाकृतियों को संजोकर रखा गया है। मंदिर में 2 नायाब सीढ़ियां हैं, जो दुश्मनों को धोखा देने के लिए तैयार की गई थीं। सही सीढ़ियां चढ़ने पर ही व्यक्ति मंदिर के ऊपरी हिस्से में जा पाता है, अन्यथा सीधे मंदिर के बाहर पहुंच जाएगा।

यहां रामलला परिवार समेत विराजमान

रामलला के भोग के लिए कुएं का पानी ही प्रयोग में लाया जाता है। यहां ऐसा कुआं बनाया गया है, जिससे दूसरे तल पर खड़ा व्यक्ति भी कुएं से आराम से पानी भर सकता है। आज भी इसे पूरी तरह सहेज कर रखा गया है। मंदिर में रामलला की सुरक्षा के लिए भगवान हनुमान भी विराजमान हैं। रामलला मंदिर के पुजारी आचार्य सुशील मिश्र के मुताबिक, यहां रामलला परिवार समेत विराजमान हैं। यहां रामलला की मूर्ति 5 इंच की है। रामलला यहां बचपन रूप में विराजमान हैं। अयोध्या में भगवान श्रीराम का स्वरूप 5 से 6 वर्ष की आयु का है। यहां श्रीराम बड़े और छोटे सरकार के रूप में जाने जाते हैं। भगवान राम की बड़ी मूर्तियों को बड़े सरकार और छोटी मूर्ति को छोटे सरकार कहा जाता है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा

बजरंग दल के प्रांत सुरक्षा प्रमुख आशीष त्रिपाठी ने बताया, यह मंदिर, श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन का प्रमुख केंद्र रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, बजरंग दल, विश्व हिंदू परिषद आदि प्रमुख संगठनों के पदाधिकारी यहीं बैठकर आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते थे। आरएसएस प्रमुख और विहिप के केंद्रीय नेतृत्व से जो भी संदेश आता, यहां चर्चा होती और फिर कानपुर और आसपास के शहरों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता। मंदिर आंदोलन के प्रमुख आचार्य गिरिराज किशोर, महंत नृत्यगोपाल दास, विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंहल समेत तमाम बड़े नेता और संत यहां आए थे और राम भक्तों को संबोधित करते थे।

श्रीराम नवमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी

रामलला मंदिर से पहली बार वर्ष 1988 में श्रीराम नवमी के दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई थी। हर घर पर धर्मध्वजा फहराई गई थी। यह परंपरा आज भी कायम है। शोभायात्रा श्री रामलला मंदिर से शुरू होकर ट्रांसफार्मर तिराहा, आनंद नगर, बजरंग तिराहा, गोपाल टावर, एम ब्लाक चौराहा, श्री रामलला रोड होते हुए मंदिर पहुंचती है। इसमें पूरे शहर की शोभायात्राएं विभिन्न मार्गों से होते हुए सम्मलित होती हैं। रामलला मंदिर से शुरू हुई इस यात्रा के बाद तो कानपुर देहात, फतेहपुर के साथ ही बुंदेलखंड के अन्य जिलों में भी इसका आयोजन किया जाता है।

पुलिस कमिश्नर ने मंदिर का डमरू बजाया और

कानपुर पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार गुरुवार रात को रामलला मंदिर रावतपुर में रामनवमी को लेकर चल रही तैयारियों की सुरक्षा का जायजा लेने पहुंचे। इस दौरान पुलिस कमिश्नर ने मंदिर का डमरू बजाया और नगाड़ा बजाकर देखा। इसके बाद पुलिस अफसरों व मंदिर के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। क्यों कि रामलला मंदिर से रामनवमी को भव्य और विशाल जुलूस निकलता है। पुलिस कमिश्नर ने शांति और शौहार्द बनाए रखने को अपील की। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने बताया कि रामनवमी पर रावतपुर के रामलला मंदिर में भव्य आयोजन होते हैं। इसके साथ ही मंदिर से विशाल जुलूस निकलता है। जिसकी पूरी तैयारियां कर ली गई हैं।

रूपरेखा को समझा और सुरक्षा व्यवस्था का ब्लूप्रिंट देखा

सीपी ने रामनवमी पर कार्यक्रम से लेकर जुलूस तक के रूपरेखा को समझा और सुरक्षा व्यवस्था का ब्लूप्रिंट देखा। एसीपी कल्याणपुर अभिषेक पांडे ने एक-एक जानकारी दी। मंदिर प्रबंधन के लोगों ने भी हर बार आने वाली समस्याओं व अन्य मुद्दे पर चर्चा की। बैठक में स्थानीय लोगों से फीडबैक लिया गया एवं रामनवमी के अवसर पर शांति एवं सौहार्द बनाए रखने हेतु सभी से सहयोग की अपील की गई। पुलिस कमिश्नर ने अधिकारियों को सतर्कता बरतने, संवेदनशील स्थानों पर विशेष निगरानी रखने तथा पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

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