UPSRTC: उत्तर प्रदेश सरकार ने 19 रोडवेज डिपो को निजी फर्मों के हवाले कर दिया है, जिसके चलते प्रदेश भर में 55 हजार रोडवेज कर्मचारियों में असमंजस और चिंता का माहौल है। निजीकरण की प्रक्रिया 1 जनवरी 2025 से लागू होगी, जिससे कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है। इस कदम के विरोध में रोडवेज यूनियनों ने कर्मचारियों से राय लेना शुरू कर दिया है और आंदोलन की चेतावनी दी है। यूनियन के नेताओं का कहना है कि यह कदम कर्मचारियों को बेरोजगार बना सकता है और परिवहन सेवाओं की गुणवत्ता पर असर डाल सकता है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (UPSRTC) के 19 डिपो को निजी फर्मों को सौंपने का फैसला, 1 जनवरी 2025 से लागू होने जा रहा है। इससे परिवहन निगम के कर्मचारियों में भारी चिंता उत्पन्न हो गई है। इस कदम के खिलाफ रोडवेज यूनियन ने राज्यभर के कर्मचारियों से निजीकरण के बारे में उनकी राय जानने का प्रयास किया है।
10 अक्टूबर को बिजली के निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में काली पट्टी बांधकर शांतिपूर्वक तरीके से विरोध किया। बिजली अभियंताओं एवं कर्मचारियों को निजीकरण बर्दाश्त नहीं।@narendramodi @PMOIndia @myogiadityanath @mयोगीऑफिस @aksharmaBharat @UPGovt @मुख्य सचिवयूपी @UPPCLLKO pic.twitter.com/7L79cXhYQz
— उ॰प्र०रा०वि०प०अभियंता संघ (@UPRVPAS) 12 दिसंबर 2024
सेंट्रल रीजनल वर्कशॉप कर्मचारी संघ के प्रांतीय महामंत्री, जसवंत सिंह, ने कर्मचारियों से संवाद करने के लिए एक खास पहल की। उन्होंने लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर एक सील बॉक्स रखा, जिसमें कर्मचारी अपने विचार व्यक्त करने के लिए ‘सहमत’ या ‘असहमत’ के रूप में अपने पत्र डाल सकते थे। 20 दिसंबर को बॉक्स खोला जाएगा और इसके परिणाम के आधार पर यूनियन आंदोलन का रास्ता तय करेगी।
उन्हें आशंका है कि निजीकरण के कारण 55 हजार कर्मचारी बेरोजगार हो सकते हैं, जो प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में रोडवेज संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। संगठन के नेताओं का कहना है कि सरकार का यह कदम परिवहन सेवाओं की गुणवत्ता और कर्मचारियों की स्थिति को प्रभावित करेगा।
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कर्मचारी संघ ने स्पष्ट किया है कि वे निजीकरण के खिलाफ हैं और इसके खिलाफ आंदोलन की योजना बना रहे हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि परिवहन निगम की सेवाओं को पहले की तरह राज्य नियंत्रण में ही रखा जाए, और निजीकरण की प्रक्रिया को रोका जाए।
हालांकि, UPSRTC के प्रवक्ता अजीत कुमार सिंह ने कहा है कि इन 19 डिपो का मेंटेनेंस निजी फर्मों को सौंपा गया है और ये कंपनियां 1 जनवरी से काम शुरू करेंगी। उनका दावा है कि निजी फर्मों द्वारा कम लागत पर बसों का रखरखाव किया जाएगा।
अगले कुछ हफ्तों में यह स्पष्ट होगा कि कर्मचारियों की राय क्या है और इस मुद्दे पर आंदोलन की दिशा क्या होगी।