वीपीई जोन: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नीति आयोग के सुझाव पर वाराणसी और प्रयागराज को मिलाकर एक नया आर्थिक क्षेत्र विकसित करने की योजना बनाई है। इस इकोनॉमिक जोन का उद्देश्य धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना है। इसमें सात जिलों—वाराणसी, प्रयागराज, चंदौली, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, और भदोही—को शामिल किया जाएगा। नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने इस परियोजना का प्रस्ताव मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को दिया। इस पहल के तहत धार्मिक पर्यटन, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, बागवानी, और डेयरी उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। माना जा रहा है कि यह परियोजना अगले पांच वर्षों में इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को दोगुना कर देगी। युवाओं के लिए रोजगार के असंख्य अवसर भी सृजित होंगे।
धार्मिक पर्यटन और कला को मिलेगा बढ़ावा
वाराणसी और प्रयागराज VPE Zone न केवल भारत बल्कि विश्व स्तर पर भी धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखते हैं। योजना के तहत इस क्षेत्र का ऐसा विकास किया जाएगा कि यहां आने वाले श्रद्धालु कम से कम तीन-चार दिन रुक सकें। इसके लिए आधुनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जाएगा। धार्मिक स्थलों के साथ-साथ कला और संस्कृति को भी इस योजना में प्राथमिकता दी जाएगी।
नीति आयोग के अनुसार, यह इकोनॉमिक जोन अगले पांच वर्षों में क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को 2300 करोड़ डॉलर से बढ़ाकर 5-6 हजार करोड़ डॉलर तक ले जाने की क्षमता रखता है।
अत्याधुनिक तकनीक और रोजगार सृजन
इस VPE Zone इकोनॉमिक जोन को अत्याधुनिक तकनीक के आधार पर विकसित किया जाएगा। यहां मैन्युफैक्चरिंग और लॉजिस्टिक्स के लिए नए हब बनाए जाएंगे। सात जिलों में 22,393 वर्ग किमी क्षेत्र में डेयरी उद्योग और बागवानी को भी बढ़ावा देने की योजना है। इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।
नीति आयोग ने क्षेत्र में 21 नए प्रोजेक्ट का सुझाव दिया है, जिनमें सड़क, परिवहन और आधुनिक सुविधाएं शामिल होंगी।
योगी सरकार का यह कदम उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में अहम साबित होगा। इस योजना से न केवल पूर्वांचल की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यहां के युवाओं को रोजगार, धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा और वैश्विक पहचान भी मिलेगी। वाराणसी-प्रयागराज इकोनॉमिक जोन वास्तव में पूर्वांचल की तस्वीर बदलने वाला है।